देश को औरंगजेब की कब्र जैसे प्रोपोगंडा में उलझा रहे ताकि मूल मुद्दे पर ध्यान न जाए : डॉ. पीयूष जोशी

इन्दौर । यदि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया भी अजित पंवार जैसे घोटालेबाजों की तरह मोदी जी के सहयोगी बन जाते तो कोई समस्या नहीं होती। लेकिन चूंकि उन्होंने आत्म समर्पण नहीं किया इसलिए जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और मीडिया के माध्यम से उनके लिए घोटालेबाज का परसेप्शन तैयार किया गया जिसका नुकसान आप पार्टी को दिल्ली चुनाव में हुआ।
यह बात आप पार्टी के नवनियुक्त राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पीयूष जोशी ने स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के रूबरू कार्यक्रम में कही। उन्होंने सरकार, भाजपा और मीडिया से सवाल पूछा कि यदि दिल्ली में तथाकथित शराब घोटाला हुआ है तो वह आखिर कितनी राशि का है, घोटाले के रूपए गए कहां, कैसे खर्च हुआ? इतनी सरकारी जांच एजेंसियों के बाद भी इतने समय में मोदी सरकार इन सवालों के जवाब नहीं दे पाई, इससे स्पष्ट है कि घोटाले का झूठा हौवा सिर्फ चुनाव के लिए गढ़ा गया था। भ्रष्टाचार सरकार के लिए कोई मुद्दा ही नहीं है। यदि होता तो जिन्हें मोदीजी ने अस्सी हजार करोड़ का घोटालेबाज बताया था वे अजित पंवार एनडीए सरकार के उपमुख्यमंत्री नहीं होते। जिन्हें भाजपा सबसे भ्रष्ट बताया करती थी, वे असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा आज भाजपा के पोस्टर बॉय और संकट मोचन न होते।
जोशी ने कहा कि दरअसल मोदी सरकार चाहती है कि देश असली मुद्दों पर बहस न करे इसलिए ध्यान भटकाने के लिए पूरे तंत्र को हाइजैक कर नित नए मुद्दे गढ़े जाते हैं। मध्यप्रदेश में 20 वर्षों से भाजपा सरकार है, फिर भी नवजात शिशु मृत्यु दर में सबसे आगे है और जन्म के समय माँ की मृत्यु दर में तीसरे नंबर पर। इन्दौर में हर वार्ड में संजीवनी क्लिनिक की घोषणा की गई थी, उनमें से अधिकांश खुले ही नहीं और जो खुले उन्हें पीपीपी मॉडल के नाम पर निजी अस्पतालों को सौंपने की तैयारी है। इन्दौर का ज़िला अस्पताल सात साल से अंडर कंस्ट्रक्शन ही है और प्रदेश के सबसे बड़े एम.वाय. अस्पताल में कैथ लैब जैसी छोटी सुविधा तक नहीं है और न यहां पीजी कोर्स पढ़ाए जाते हैं। सरकारी अस्पतालों में हमेशा डॉक्टरों की कमी रहती है और गर्भवती माताओं को अस्पताल लेने से मना कर देते हैं, जिसके बाद एंबुलेंस भी न मिलने पर ठेले से उन्हें ले जाने के अप्रिय दृश्य उपस्थित होते हैं। ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ मॉडल हमारे लिए खतरा है। दिल्ली में इस बार पहली बार ऐसा हुआ कि बिना इकोनॉमिक सर्वे के ही बजट पेश कर दिया गया। पूरे देश में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खराब है और बेरोजगारी चरम पर है, लेकिन सरकार मीडिया, फिल्मों आदि सम्भव तरीके से नेपोलियन के गोएबल्स मॉडल पर प्रोपेगेंडा फैलाने में लगा है। देश मूलभूत मुद्दों को भूलकर औरंगजेब की कब्र खोदने में लगा रहे, मठाधीश की तरह व्यवहार करने वाले प्रधानमंत्री की मंशा है।
प्रदेश में आप पार्टी की कमजोर स्थिति को स्वीकारते हुए डॉ. पीयूष जोशी ने कहा कि यहां लंबी लड़ाई है लेकिन हम अपना काम करते रहेंगे। हर लड़ाई जीतने के लिए नहीं लड़ी जाती, कुछ इसलिए भी लड़ी जाती हैं ताकि गलत का प्रतिकार किया जा सके। इंडिया गठबंधन में आप पार्टी की वर्तमान स्थिति को लेकर श्री जोशी थोड़ा असमंजस में नज़र आए। उन्होंने कहा कि चूंकि अभी तक हम इंडिया ब्लॉक से बाहर नहीं हुए हैं इसलिए हम उसका हिस्सा हैं। लेकिन सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया, जबकि आप पार्टी ने सदैव ही किया। वर्तमान में विपक्ष की कमज़ोर स्थिति को भी वे नकार नहीं सके और कहा कि आगामी चुनावों में विपक्ष को बहुत तैयारियों की आवश्यकता है। रूबरू कार्यक्रम की शुरुआत में स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, समीर खान, सोनाली यादव, मेहबूब कुरैशी एवं संजय मेहता ने डॉ. पीयूष जोशी का स्वागत किया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन संस्कृतिकर्मी – पत्रकार आलोक बाजपेयी ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन विनोद गोयल ने किया।
:: परिवार और वैष्णव विद्यालय के संस्कारों को दिया सेवाभाव के स्वभाव का श्रेय ::
डॉ. पीयूष जोशी ने कहा कि परिवार में सदा नेक-नियति और ईमानदारी पर बल दिया गया जबकि वैष्णव स्कूल की प्रार्थना वैष्णवजन तो तैंने कहियज ने मन पर प्रभाव डाला। स्कूल में होने वाले आयोजनों में टैगोर की पंक्ति एकला चलो रे और विवेकानंद के वाक्य उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको ने मन पर छाप जोड़ी। आप पार्टी से इसलिए जुड़े हैं क्योंकि देश की यही अकेली पार्टी है जो शिक्षा और स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर देश को शिक्षित और स्वस्थ बनाना चाहती है। इन दोनों क्षेत्रों में मौलिक काम किए बिना देश कभी विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता।