तुलसी गबार्ड के बयान के बाद बोतल से फिर निकला ईवीएम का जिन्न

कांग्रेस नेता ने की सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेकर जांच की मांग
नई दिल्ली । इलेक्ट्रिोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की हैकिंग को लेकर एक बार राजनीति जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ईवीएम हैकिंग को लेकर अमेरिका की खुफिया विभाग की प्रमुख के बयान का हवाला देते हुए पीएम मोदी और चुनाव आयोग की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर जांच कराने की मांग की है।
इन सभी बातों के बीच चुनाव आयोग के सूत्रों ने साफ कर दिया है कि भारतीय ईवीएम को इंटरनेट या वाईफाई से नहीं जोड़ा जा सकता न ही इसे हैक किया जा सकता है। सुरजेवाला ने सोशल मीडिया एक्स पर अमेरिकी की खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड के बयान का हवाला देते हुए कहा कि गबार्ड ने सार्वजनिक रूप से ईवीएम की हैकिंग और उसकी कमजोरियों के मुद्दे को उठाया है। उन्होंने लिखा कि वास्तव में गबार्ड ने कहा कि चुनाव के नतीजों में हेराफेरी के लिए ईवीएम का दुरुपयोग किया जा सकता है।
अब सवाल यह है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयोग इस मामले पर चुप क्यों है? गबार्ड ने जो कहा उसे नकारने के लिए आयोग सूत्रों के आधार पर कहानियां क्यों बना रहे हैं? पीएम मोदी और एनडीए सरकार और बीजेपी इस मामले पर चुप क्यों है? सुरजेवाला ने कहा कि हमारे चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को ईवीएम की हैकिंग और अन्य कमजोरियों के सभी तौर-तरीके और कारण हासिल करने के लिए गबार्ड से संपर्क करना चाहिए…कि आखिर वह कैसे और किस आधार पर यह बात कर रही हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि क्या भारत की सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान नहीं लेना चाहिए…और यह मानते हुए इसकी गहन जांच नहीं करानी चाहिए कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव ही संवैधानिक लोकतंत्र की बुनियादी संरचना है? कांग्रेस नेता के सवालों के पहले चुनाव आयोग के सूत्रों ने ईवीएम को हैक करने वाली तमाम अटकलों को खारिज कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय ईवीएम मशीन साधारण कैलकुलेटर की तरह काम करती हैं, जो किसी भी इंटरनेट कनेक्शन से नहीं जुड़ी होती हैं, ऐसे में इन्हें हैक करना संभव नहीं है।
बता दें अमेरिका की खुफिया विभाग की निदेशक तुलसी गबार्ड ने गुरुवार को एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि मंत्रिमंडल को इस बात के सबूत मिले हैं कि ईवीएम सिस्टम लंबे समय से हैकर्स के सामने कमजोर रहे हैं। इनके हैक होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही इनमें वोटों के नतीजों के हेरफेर की आशंका भी रहती है। ऐसे में पूरे देश में पेपर बैलेट के इस्तेमाल को अनिवार्य करने की जरूरत है ताकि मतदाता अमेरिकी चुनावों की अखंडता पर भरोसा कर सकें।