नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाएगा। अभी तक करीब पांच हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों पर इस तकनीक का प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया है, जिससे दुर्घटनाओं में लगभग 38 प्रतिशत तक की कमी देखी गई। इस सफलता से उत्साहित होकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने फोर लेन या उससे अधिक चौड़ाई वाले सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर यह सिस्टम लागू करने का नीतिगत फैसला किया है। इस वित्तीय वर्ष में करीब 50 हजार किलोमीटर सड़क पर इसे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
अधिकारियों के अनुसार, बेंगलुरु-मैसूर राष्ट्रीय राजमार्ग, द्वारका एक्सप्रेस वे और लखनऊ रिंग रोड समेत कई मार्गों पर एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (एटीएमएस) पहले से ही चालू है। इसे इंडियन हाईवेज मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड संचालित कर रही है। कंपनी की मुख्य अधिकारी अमृत सिन्हा ने बताया कि यह सिस्टम 24 घंटे ट्रैफिक फ्लो पर नजर रखता है। हर आधा किलोमीटर पर अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए हैं, जो सड़क के दोनों तरफ की लेन पर पूरी निगरानी करते हैं।
एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार, 50 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों पर यह सिस्टम लागू होगा, उनमें सबसे पहले ब्लैक स्पॉट वाले इलाकों को कवर किया जाएगा। हर किलोमीटर पर चार कैमरे लगाए जाएंगे ताकि मॉनिटरिंग में कोई कमी न रहे। उदाहरण के लिए द्वारका एक्सप्रेस वे पर यह सिस्टम लगाने में करीब 17 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसमें इंस्टॉलेशन से लेकर मेंटेनेंस और मॉनिटरिंग तक के सारे खर्च शामिल हैं। अधिकारियों का दावा है कि एक बार सिस्टम स्थापित होने के बाद इसके रखरखाव पर बहुत कम खर्च आएगा।
कैमरों की मदद से ओवरस्पीडिंग, सीट बेल्ट न पहनने, गलत ओवरटेक, लेन उल्लंघन समेत 17 अलग-अलग तरह के यातायात नियम उल्लंघनों की निगरानी की जाएगी। कंट्रोल रूम में इन सबकी रीयल टाइम मॉनिटरिंग होगी। जैसे ही कोई उल्लंघन होगा, कर्मचारियों को अलर्ट मिलेगा। वे मौके पर जाकर कार्रवाई करेंगे। चालान सीधे वाहन चालक के मोबाइल पर भेजा जाएगा। इसके अलावा, स्पीड लिमिट के डिस्प्ले हर पांच किलोमीटर पर लगाए जा रहे हैं। चालान के जरिये राष्ट्रीय राजमार्गों पर हर माह हाईवेज मैनेजमेंट कम्पनी को करोड़ों रूपयों की कमाई होगी। स्मार्ट कैमरों की सहायता ने नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों से चालन के माध्यम से कमाई बढ़ाई जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक इस तकनीक के इस्तेमाल से सड़क दुर्घटनाओं और घायलों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। बेंगलुरु-मैसूर हाईवे पर 2023 में जहां हर महीने औसतन 26 दुर्घटनाएं होती थीं, 2024 में यह संख्या घटकर 16 रह गई। वहीं घायलोंकी संख्या भी 15.8 फीसदी से घटकर 3.2 रह गई है।