बीजेपी सरकार के कार्यकाल में बंटे 26,500 पट्टे: मुख्यमंत्री यादव

नेता प्रतिपक्ष बोले- आदिवासियों को उनके कब्जे वाली भूमि से किया जा रहा है बेदखल
भोपाल । मध्यप्रदेश विधानसभा में सोमवार को ध्यानाकर्षण के दौरान आदिवासियों के पट्टे के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ही सबसे अधिक 26,500 पट्टे बांटे गए हैं, जबकि कांग्रेस के शासन में एक भी पटटे आदिवासियों को नहीं दिए गए। मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि आदिवासियों को कई तरह के सरकारी योजनाओं के लाभ दिए गए हैं। हमारी सरकार ठोस कदम उठा रही है। हम विपक्ष की सकारात्मक सलाह को लेने के लिए तैयार हैं। आदिवासी पट्टों और आदिवासियों के विकास के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करेंगे। आदिवासी ग्राम में बरसात के समय आवास छीनना और आवास तोड़ना बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। अधिकारियों को इसके बारे में निर्देश दिए गए हैं । ऐसा नहीं होना चाहिए। जन जातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने सदन में ध्यान आकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा कि सैटेलाइट इमेज के जरिए दिसंबर 2005 की स्थिति की जानकारी लेकर वन अधिकार पट्टों के मामले में निर्णय किया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि इस व्यवस्था के माध्यम से 2005 की स्थिति में किसका कब्जा था यह भी साफ हो जाएगा। पट्टों को वितरण की स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगी। इससे पू्र्व नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि प्रदेश के आदिवासी जिलों में वन अधिकार के दावेदारों के प्रकरणों को खारिज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि पटटे निरस्त नहीं किए जा रहे है, वहीं दूसरी तरफ 3 लाख 22 हजार दावे आदिवासियों के निरस्त कर दिए गए। राज्य सरकार वन भूमि को निजी हाथों में सौंपना चाह रही है, यह सही नहीं है। उन्होंने नेपानगर का मामला उठाते हुए कहा कि यहां 40 गांव के तीन हजार से ज्यादा प्रकरण दावेदारों के निरस्त कर दिए गए, इतना ही नहीं बैलगाडी और ट्रेक्टर वगैरह जप्त किए गए, यह आदिवासियों के साथ अन्याय है। उन्होंने सुझाव भी दिया कि सरकार वनाधिकार पटटे देने के साथ ही प्लांटेशन भी करवाए ताकि वनवासियों की रोजी-रोटी भी चलती रहे। इस पर वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि राज्य सरकार ने2005 से पूर्व के दावेदारों को 2 लाख 30 हजार आदिवासी परिवारों को पटटे प्रदान किए है। वनों में निवास करने वाले आदिवासियों को पीएम आवास, बिजली कनेक्शन, भूमि सुधार, पीएम सम्मान निधि योजना का लाभ भी दिया जा रहा है। वहीं दावेदारों के आवेदनों पर विचार करने के लिए त्रिस्तरीय समिति का गठन भी किया गया। उन्होंने जानकारी दी कि साल 20025 के बाद बडे पैमाने पर अतिक्रमण पाया गया है1 अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। यह कहना बिल्कुल गलत है कि आदिवासी जिलों में वन अधिकार के दावेदारों के प्रकरणों को खारिज कर बेदखल किया गया है। आदिवासियों के हित में सरकार लगातार काम कर रही है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार आदिवासी जमीनों की सही से रखवाली नहीं कर रही है।