इन्दौर | स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक दलित सरपंच को न तो कुर्सी पर बैठने देने और न ही झंडा फहराने देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मामला सांवेर विधानसभा के गांव रामपिपल्या का है जहां की सरपंच पेपू बाई लोबानिया अपने पति के साथ स्वतंत्रता दिवस पर पंचायत कार्यालय पहुंचीं तो कुर्सियों पर पहले से ऊंची जाति वाले बैठे थे। उन्होंने उन पति-पत्नी से कहा कि हमारे स्वागत का इंतजाम क्यों नहीं किया। न कुर्सी है, न टेंट। जबकि दर्जन भर ठाकुर और दूसरे सवर्ण कुर्सी पर बैठे रहे। सरपंच पेपू बाई ने आरोप लगाते कहा कि उपसरपंच मोहन सिंह चौहान ने झंडा फहराया है, जबकि ये मेरा हक था। उन्होंने मेरे साथ गाली गलौज भी की गई है। पेपू बाई का कहना है कि उप सरपंच मोहनसिंह चौहान नहीं अपने लड़के को नियम-विरुद्ध प्रतिनिधि भी बना रखा है। वह भाजपा का नेता भी है। पेपू बाई ने आरोप लगाया कि उसी के इशारे पर हमारी बेइज्जती हुई है। सरपंच पेपू बाई के पति जितेंद्र लोबानिया का कहना है कि हर काम में अड़ंगा डालते हैं। हम हरिजन हैं, तो राजपूतों ने कहा कि हमारे बैठने की व्यवस्था क्यों नहीं की। हम गरीब हैं, तो कुछ बोल भी नहीं पाए। मारपीट जैसे हालात बन गए थे… हम डर गए थे। मामले में बताया जा रहा है कि जब यह मुद्दा उठा और इसके विडियो सोशल साइट्स पर शेयर पोस्ट होने लगे, तो आसपास के कई सवर्ण पेपू बाई को मनाने पहुंचे थे।