:: महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का समाज को कड़ा संदेश ::
इंदौर । महामंडलेश्वर और किन्नर आचार्य डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने समाज पर सीधा प्रहार करते हुए कहा है कि जो लोग अपने ट्रांसजेंडर बच्चों को किन्नर बाड़े में छोड़ जाते हैं, वे ही किन्नर समूहों के बनने के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि अगर परिवारों ने इन बच्चों को स्वीकार करना शुरू कर दिया तो किन्नर समूह खुद-ब-खुद समाप्त हो जाएंगे। इंदौर में स्टेट प्रेस क्लब के रूबरू कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने किन्नरों द्वारा बधाई लेने की प्रथा का भी जोरदार समर्थन किया।
:: समाज से सीधा सवाल : बच्चों को क्यों छोड़ते हैं?
डॉ. त्रिपाठी ने समाज की उस दोहरी मानसिकता पर सवाल उठाया, जहाँ लोग अपने मासूम ट्रांसजेंडर बच्चों को तो छोड़ जाते हैं, लेकिन बाद में किन्नरों की आजीविका के लिए पर्याप्त दानराशि नहीं देना चाहते। उन्होंने भावुक होकर कहा, जब वे बच्चे बड़े होकर किन्नर बनते हैं तो सोचिए समाज के लिए उनके मन में कैसी भावनाएं पनपती होंगी? उन्होंने इंदौर का उदाहरण देते हुए बताया कि यहाँ भी कई माता-पिता दूध पीते बच्चों को छोड़ गए, जिन्हें पाल-पोसकर और पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया गया।
:: शिक्षा और योग्यता के बावजूद भेदभाव जारी ::
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि अन्य समाजों की तरह सभी किन्नर भी एक जैसे नहीं होते। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि पढ़े-लिखे और योग्य होने के बावजूद भी किन्नरों को समाज में समानता का हक नहीं मिलता और न ही उन्हें नौकरी दी जाती है। उन्होंने अपना खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि वह एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुईं, पढ़ी-लिखी और योग्य थीं, लेकिन फिर भी किसी ने उन्हें नौकरी या आजीविका का साधन नहीं दिया। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग बधाई की पर्याप्त राशि नहीं देते, उन्हें समझना चाहिए कि घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या?
:: सनातन धर्म की ओर झुकाव ::
आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि आजकल अधिकांश किन्नर सनातन धर्म की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि किन्नर शैव संप्रदाय के अंतर्गत भगवान शिव के गण हैं और सनातन धर्म में उन्हें सम्मान और स्वाभिमान मिलता है। इसी कारण कई किन्नर अब सनातन धर्म की दीक्षा लेकर साधु-संत बन रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश ने किन्नर समुदाय को बहुत कुछ दिया है, यहीं से पहली विधायक और महापौर बनीं और उन्हें भी यहीं महामंडलेश्वर की पदवी मिली। उम्मीद है कि वे जल्द ही इंदौर में बस जाएंगी। उन्होंने प्रदेश में किन्नर कल्याण बोर्ड के गठन की मांग भी की, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक नहीं बन सका है।
:: सिंहस्थ में स्थायी ज़मीन की मांग ::
आगामी उज्जैन सिंहस्थ के बारे में पूछे जाने पर डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि इस बार किन्नर अखाड़ा राज्य सरकार से अपने लिए स्थायी जमीन की मांग करेगा। इस जमीन पर किन्नरों का आश्रम और अर्धनारीश्वर भगवान का विशाल मंदिर बनाया जाएगा।
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि ‘मैं हिजड़ा मैं लक्ष्मी’ और ‘कभी बिंदु कभी सिंधु’ जैसी पुस्तकों के बाद, ‘रेड लिपस्टिक: द मैन इन माय लाइफ’ पुस्तक लिखी है और अब वे सनातन धर्म पर एक नई पुस्तक लिख रही हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि तपिश फाउंडेशन जैसे संगठनों के माध्यम से वेदांता, हिंदू, अपोलो, गोदरेज, पेप्सिको, फ्लिपकार्ट और द ललित जैसे बड़े समूहों में ट्रांसजेंडर लोगों को सम्मानजनक नौकरी दिलाई गई है।
इस बातचीत की शुरुआत में, स्टेट प्रेस क्लब के सदस्यों प्रवीण खारीवाल, रवि चावला, अभिषेक बडजात्या, यशवर्धन सिंह और दीप्ति परमेश्वरी सिंह ने डॉ. त्रिपाठी का आत्मीय स्वागत किया। सम्मान के रूप में गोविन्द लाहोटी कुमार ने उनका एक कैरीकेचर और सोनाली यादव ने एक स्मृति चिन्ह प्रदान किया। इस पूरे कार्यक्रम में नंदलालपुरा, इंदौर की पांच अन्य किन्नर भी डॉ. त्रिपाठी के साथ मौजूद थीं।