अब भारत में बनेंगे तेजस एमके2 के जीई-इंजन, बढ़ेगी वायुसेना की ताकत

नई दिल्ली,(ईएमएस)। केंद्र सरकार अब भारतीय वायुसेना को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए काम कर रही है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्कस लिमिटेड और अमेरिका की रक्षा दिग्गज जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस के बीच हुई डील के बाद अब भारत के स्वदेशी फाइटर जेट तेजस मार्क-2 के लिए भारत में इंजन बनाने की बात शुरू हो गई है। इसके अलावा डीआरडीओ ने बेंगलुरु स्थित एक गैस टर्बाइन रिसर्च प्रतिष्ठान के साथ फ्रांस की कंपनी सफ्रान की डील को भी अंतिम रूप दे दिया है। यह दोनों मिलकर पांचवी पीढ़ी का उन्नत और मध्यम लड़ाकू विमान के इंजन बनाएंगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का उद्देश्य अगले तीन महीनों में तेजस मार्क 2 के इंजन के लिए एचएएल और जीई के समझौते की बातचीत को अंतिम रूप देना है। ताकि इस समझौते के तहत जल्द से जल्द एफ414 इंजनों का उत्पादन भारत में होने लगे, जिनको तेजस मार्क 2 के लिए डिजाइन किया गया है।
बता दें अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस ने लड़ाकू जेट विमानों के इंजनों के उत्पादन के लिए जून 2023 में एचएएल के साथ समझौता किया था। इस समझौते की घोषणा पीएम मोदी के अमेरीकी दौरे में की थी। हालांकि अमेरिकी कांग्रेस से मंजूरी मिलने के बाद आम शर्तों पर भी सहमति बन गई थी। उसके बाद भी यह डील ठंड़े बस्ते में डाल दी गई। इस विषय के जानकारों का कहना है कि भारत सरकार और अमेरिका के बीच में इस इंजन को लेकर पिछले 10 सालों से बातचीत जारी है। जीई एयरोस्पेस इस इंजन की करीब 80 फीसदी तकनीक को भारत के साथ साझा करने को तैयार है। हालांकि इसमें कुछ अहम प्लाइंट्स को बाहर रखा गया है। बता दें शुरुआत में जीई केवल 58 फीसदी टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर के लिए तैयार हुआ था, लेकिन बाद में वह 80 फीसदी तकनीक के लिए तैयार है।