पटना । बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा भले ही अभी होना बाकी हो, लेकिन प्रदेश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। विभिन्न सर्वे एजेंसियां लगातार मतदाताओं का मूड जानने की कोशिश में जुटी हैं। इसी क्रम में एक ताजा सर्वे कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए है। 3 से 10 सितंबर के बीच हुए सर्वे में कुल 5635 सैंपल शामिल किए गए। यह सर्वे इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसके ठीक पहले राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा बिहार के 22 से अधिक जिलों में संपन्न हुई थी, इसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव भी उनके साथ शामिल रहे।
सर्वे में शामिल सैंपल के सामाजिक और भौगोलिक आधार पर पुरुषों की भागीदारी 52 प्रतिशत और महिलाओं की 48 प्रतिशत रही। जातिगत आधार पर 20 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 2 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 44 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग, 16 प्रतिशत सवर्ण हिंदू और 18 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता शामिल रहे। वहीं, भौगोलिक रूप से 30 प्रतिशत शहरी और 70 प्रतिशत ग्रामीण मतदाताओं से बातचीत की गई।
सबसे अहम सवाल यह था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को लेकर जनता का रुझान कैसा है। आंकड़े बताते हैं कि बिहार में सत्ता विरोधी लहर तेज दिखाई दे रही है। 48 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि वे मौजूदा सरकार से नाराज हैं, जबकि 27.1 प्रतिशत लोग अब भी नीतिश बाबू के साथ हैं। लगभग 20.6 प्रतिशत मतदाता तटस्थ रहे और 4.3 प्रतिशत ने कोई स्पष्ट राय नहीं दी। शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में 48 प्रतिशत लोगों ने सरकार के खिलाफ राय दी, जबकि समर्थन में शहरी क्षेत्र से 31 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों से 25 प्रतिशत लोग सामने आए। तटस्थ रहने वालों की संख्या शहरी क्षेत्र में 17 प्रतिशत और ग्रामीण इलाके में 22 प्रतिशत रही। पुरुष और महिलाएं, दोनों ही वर्गों में 48 प्रतिशत लोगों ने एंटी-इंकंबेंसी की भावना जाहिर की। वहीं, 29 प्रतिशत पुरुष और 25 प्रतिशत महिलाएं नीतश सरकार के पक्ष में खड़ी नज़र आईं।
राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह सर्वे नीतीश की राजनीतिक स्थिति को चुनौती देता है। लंबे समय से बिहार की राजनीति का केंद्र रहे नीतीश अब जनता की नजरों में कमजोर पड़ते दिख रहे हैं। खासकर युवा, महिलाएं और ग्रामीण मतदाता बदलाव की तलाश में दिख रहे हैं। हालांकि सर्वे यह स्पष्ट नहीं करता कि कांग्रेस और राजद को सीधा लाभ मिलेगा या नहीं, लेकिन सत्ता विरोधी रुझान यह संकेत दे रहा है कि बिहार की राजनीति में इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है।