तर्पण संस्कारों के खजाने की चाबी : पं. पुष्पानंदन तिवारी

:: सांसद शंकर लालवानी हंसदास मठ पर चल रहे तर्पण अनुष्ठान में हुए शामिल, किया महिलाओं का सम्मान ::
इंदौर । एयरपोर्ट रोड स्थित हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा आयोजित निःशुल्क तर्पण अनुष्ठान में आज भागवताचार्य पं. पुष्पानंदन पवन तिवारी ने कहा कि तर्पण और श्राद्ध हमारे पूर्वजों के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि तर्पण की क्रिया हमारे पूर्वजों द्वारा सौंपी गई लॉकर की वह चाबी है, जिससे हम संस्कारों का खजाना खोल सकते हैं। उन्होंने नई पीढ़ी को संपत्ति के साथ संस्कार भी विरासत में सौंपने पर जोर दिया।
आश्रम के महामंडलेश्वर महंत रामचरणदास महाराज और महंत पवनदास महाराज के सानिध्य में आयोजित इस अनुष्ठान में सांसद शंकर लालवानी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। तर्पण अनुष्ठान में शामिल 500 से अधिक साधकों के बीच सांसद ने स्वयं भी तर्पण क्रिया संपन्न की। इस दौरान देश के लिए शहीद हुए जवानों, स्वतंत्रता सेनानियों, होल्कर राजवंश के शासकों और गोमाता के लिए भी तर्पण किया गया।
:: समिति की मातृशक्ति का सम्मान ::
इस अवसर पर समिति के संस्थापक ब्रह्मलीन मोहनलाल सोनी की श्राद्ध तिथि भी मनाई गई। सांसद लालवानी ने समिति से जुड़ी महिलाओं श्रीमती गीता शर्मा, गीता विजयवर्गीय, सुश्री किरण ओझा, श्रीमती ज्योति शर्मा, सुश्री गिरिजा सेन, राजकुमारी मिश्रा, लता सोनी, वर्षा जैन, श्रीमती कलावती राठौड़ और मंजू सोनी को देवी अहिल्या के चित्र युक्त स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। सभी साधकों ने स्व. सोनी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
:: पितृमोक्ष भागवत कथा ::
दोपहर में आयोजित पितृमोक्षदायी भागवत कथा में पं. तिवारी ने कहा कि हम माता-पिता द्वारा छोड़ी गई संपत्ति का तो बिना संकोच उपभोग करते हैं, लेकिन उनके मोक्ष की कामना के लिए हमारे पास समय नहीं होता। उन्होंने कहा कि तर्पण भारतीय संस्कृति की एक प्राचीन और शास्त्रोक्त परंपरा है। भागवत कथा का श्रवण तर्पण के बाद विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह हमारे पितरों को मोक्ष प्रदान करती है। उन्होंने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने भी अपने पिता अयोध्या नरेश का तर्पण किया था।
कथा प्रतिदिन प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक हो रही है।