इंदौर (ईएमएस)। । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल, पार्टी के प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह एवं प्रदेश शासन के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को इंदौर के लता मंगेशकर सभागार वीआईपी परस्पर नगर में आयोजित ‘‘एक राष्ट्र-एक चुनाव‘‘ छात्र नेता सम्मेलन को सबोधित किया। भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद जी ने सम्मेलन के द्वितीय सत्र को संबोधित किया। इस दौरान ‘‘एक देश-एक चुनाव‘‘ पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए एक देश-एक चुनाव जरूरी है। एक देश-एक चुनाव से देश की कई समस्याओं का समाधान हो जाएगा। आजादी के बाद देश में कई तरह के सुधार हुए। प्रशासनिक सुधार, न्यायिक सुधार, शिक्षा नीति में बदलाव की तरह ही चुनाव सुधार के लिए एक देश-एक चुनाव जरूरी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि देश के आजाद होने के बाद विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ ही कराए जाते थे। इंदिरा गांधी के शासनकाल में देश में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के कारण विधानसभाओं और लोकसभा के कार्यकाल में अंतर आया और इसके बाद से ही एक-देश, एक चुनाव की परंपरा टूटी। एक साथ चुनाव कराए जाने से देश के लाखों करोड़ बचेंगे। इस प्रक्रिया को विश्व के कई देश अपना चुके हैं और कुछ अपनाने के पक्षधर हैं। कांग्रेस और विपक्षी दल मतदाताओं पर प्रश्न चिन्ह लगाकर उनका अपमान कर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक स्थिरता, समृद्धि और सुचिता के लिए एक देश-एक चुनाव जरूरी है। कांग्रेस ने देश में राष्ट्रपति शासन लगाकर स्थितियां बिगाड़ीं, जिससे राज्यों और केंद्र के चुनाव अलग-अलग हुए हैं। प्रदेश शासन के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ आज देश की आवश्यकता है। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ होने से खर्चा भी कम होगा, समय की भी बचत होगी और मर्यादाएं भी भंग नहीं होंगी।
अनावश्यक खर्च से बचने एक देश-एक चुनाव वर्तमान समय की जरूरत – सुनील बंसल
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने कहा कि 1947 में जब देश आजाद हुआ, तो उसने लोकतंत्र अपनाया और उस लोकतंत्र को चलाने के लिए चुनाव एक अनिवार्य अंग था। स्वतंत्रता के बाद देश में कई सुधार हुए। प्रशासनिक, न्यायायिक सुधार के साथ शिक्षा नीति में भी बदलाव हुए। अनावश्यक खर्च से देश को बचाने एक देश-एक चुनाव वर्तमान समय की जरूरत है। इसी तरह से हमारी चुनाव व्यवस्था में भी बदलाव की जरूरत है। यह कई समस्याओं का इकलौता समाधान है। वर्ष 1952 में जब देश में पहला चुनाव हुआ, तो कुल मतदाताओं की संख्या 19 करोड़ थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह बढ़कर 96 करोड़ हो चुकी थी। वर्ष 1995 से 2025 के बीच के 30 सालों में से कोई भी साल ऐसा नहीं बीता, जब देश में चुनाव नहीं हुआ हो। सुनील बंसल ने कहा कि वर्ष 1952 से 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते थे, लेकिन बाद में इस व्यवस्था को बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि लगातार चुनावों के कारण अक्सर आचार संहिता लगी रहती है, जिससे विकास बाधित होता है। अनावश्यक खर्च की अगर बात की जाए, आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार हर पांच साल में चुनाव आयोग, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों आदि का खर्च मिलाकर 5 से 7 लाख करोड़ रूपये चुनाव पर खर्च होते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में ही चुनाव आयोग को प्रत्येक मतदाता पर 1400 रुपये खर्च करने पड़े। यह अनावश्यक खर्च एक आगे बढ़ते हुए देश के लिए बहुत नुकसानदायक है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि हर चुनाव अपने साथ राजनीतिक, सामाजिक वैमनश्यता लेकर आता है, जो हमारे देश और समाज के लिए उचित नहीं है।
विकसित भारत बनाने धन की बर्बादी रोकने एक साथ चुनाव आवश्यक
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने कहा कि हर चुनाव में हमारे प्रशासन का, जनप्रतिनिधियों का बहुत अधिक समय खर्च होता है। उन्हें विकास की योजनाएं बनाने और अपने क्षेत्र में काम करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। इसके अलावा लंबे समय तक आचार संहिता लगे होने से विकास के काम रुक जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए समय और धन की बर्बादी रोकना बहुत जरूरी है, जिसका एक ही उपाय है, एक देश-एक चुनाव। सुनील बंसल ने कहा कि सिर्फ एक साथ चुनाव कराकर ही देश की जीडीपी में 1.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि चुनावों के मद्देनजर सरकारें कठोर निर्णयों को लागू नहीं कर पाती। सरकार एक तरह से पॉलिसी पैरालिसिस की शिकार हो जाती हैं। राजनीतिक दल जीत के लोभ में ऐसे वादे करते हैं, जिन्हें पूरा करना मुश्किल होता है और फलस्वरूप सरकारें या तो कर्जदार हो जाती हैं, या आर्थिक दबाव में आ जाती हैं। उन्होंने कहा कि अगर एक साथ चुनाव होते हैं, तो चुनावों के प्रति मतदाताओं की रुचि बढ़ेगी। युवाओं के लिए सक्रिय राजनीति में अवसर बढ़ेंगे और परिवारवाद की राजनीति पर नकेल कसी जा सकेगी। इसके अलावा हर चुनाव में बड़ी संख्या में कागज का उपयोग होता है, जिसके लिए हजारों पेड़ काटे जाते हैं। प्लास्टिक का उपयोग होता है, भयानक ध्वनि प्रदूषण होता है। ये सारी चीजें हमारे पर्यावरण के लिए बेहत खतरनाक हैं। एक साथ चुनाव कराकर पर्यावरण को इस नुकसान से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव सिर्फ भाजपा का अभियान नहीं है और न ही इससे सिर्फ भाजपा को लाभ होने वाला है। इसका लाभ पूरे देश को मिलने वाला है, इसलिए इस अभियान को एक जन अभियान बनाने के लिए हमें कार्य करना है।
कांग्रेस और विपक्षी दल मतदाताओं पर प्रश्न चिन्ह लगाकर उनका अपमान कर रहे – हेमंत खण्डेलवाल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि देश में वन नेशन-वन इलेक्शन अब जरूरी हो गया है। आजादी के बाद देश में राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने की परंपरा रही है। वर्ष 1952, 1957, 1962 और 1967 में देश में आम चुनाव और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही हुए थे। लेकिन इंदिरा गांधी के नेतृत्व में जब देश में कांग्रेस की सरकार बनीं उसके बाद स्थिति अलग हो गई। इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने के लिए लोकतंत्र का गला घोंटा और देश में आपातकाल लगा दिया। आपातकाल के बाद संसद और विधानसभाओं के कार्यकाल में अंतर आया और कांग्रेस पार्टी ने एक साथ चुनाव की परंपरा तोड़ दी। कांग्रेस पार्टी एक साथ चुनाव कराए जाने से बचना चाहती है, क्योंकि उसे मालूम है कि जनता उस पर भरोसा नहीं करती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को प्रगति के पथ पर निरंतर आगे ले जाने का कार्य कर रहे हैं। कांग्रेस और विपक्षी दल एक साथ चुनाव कराए जाने का इसलिए विरोध करते हैं, क्योंकि वे विकास के नाम पर जनता के बीच नहीं जाते। विपक्ष दल आरोप लगाते हैं कि सत्ताधारी दल एक साथ इसलिए चुनाव कराना चाहता है कि लोकसभा चुनाव के समय देश में एक लहर होती है और उसी लहर के भरोसे सत्ताधारी दल राज्यों में भी चुनाव जीतना चाहता है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को यह पता होना चाहिए कि देश की जनता बहुत समझदार है। वह कई बार चार-चार चुनावों के लिए एक साथ मतदान करते हैं। कांग्रेस और विपक्षी दल मतदाताओं पर इस तरह के आरोप लगाकर देशभर के भगवान रूपी मतदाताओं को अपमानित करने का कार्य कर रहे हैं।
दुनिया के कई देश एक साथ चुनाव कराने के पक्षधर, इससे देश के लाखों करोड़ बचेंगे
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि इंडोनेशिया, स्पेन और स्वीडन जैसे देशों में एक साथ ही चुनाव कराए जा रहे हैं। विश्व के कई देश एक साथ चुनाव कराने के पक्षधर हैं और इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया में हर राष्ट्र के सामने चुनाव के बढ़ते खर्च को रोकने और कम करने की चुनौती है। चुनाव के खर्च को कम करने के लिए सबसे आसान तरीका है कि देश में विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीते वर्ष 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में करीब एक लाख करोड़ की राशि खर्च हुई थी। यह चुनाव खर्च उम्मीदवारों और सरकारों का हुआ। सरकारों ने चुनाव कराने में जो खर्च किया, वह जनता का पैसा है। देश में राज्यों के विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं तो विधानसभा के चुनाव खर्च में ही लोकसभा भी चुनाव संपन्न हो जाएगा। पांच साल में चुनाव कराने पर एक लाख करोड़ खर्च होते हैं, यानी 20 हजार करोड़ प्रतिवर्ष। एक साथ चुनाव कराने में औसतन 20 हजार करोड़ रूपए प्रति वर्ष बचेंगे। देश में करोड़ों लोगों को जीवन देने वाली आयुष्मान भारत योजना का प्रति वर्ष का बजट 9500 करोड़ रूपए है। यानी एक देश-एक चुनाव लागू होने से प्रति वर्ष आयुष्मान भारत योजना जैसी दो योजनाओं के बराबर की राशि देश में बचाई जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी के नेतृत्व में भारत अमेरिका और चीन से आगे बढ़ने के लिए ठोस कदम उठा रहा है। हमें इन देशों से आगे निकलने के लिए धन बचाना होगा और उसके लिए भी एक देश-एक चुनाव कारगर कदम होगा। युवा पीढ़ी इस बात को समझे और जनता को भी यह समझाए कि विकसित भारत के लिए एक देश-एक चुनाव आवश्यक है।
एक देश-एक चुनाव भारत को लोकतांत्रिक देशों में नई पहचान देगा – डॉ. महेन्द्र सिंह
भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह ने कहा कि 14 अगस्त 1947 को भारत का बंटवारा हो गया और बंटवारे के बाद 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 खंडों का एक विशाल संविधान बनकर तैयार हो गया। संविधान तैयार होने के बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और 1952 में 22 राज्यों और 17 करोड़ मतदाताओं के साथ पहला चुनाव संपादित किया गया। वर्ष 1952 से लेकर 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होता रहा है, उसके बाद कांग्रेस पार्टी चुनाव हारने लगी और स्थितियां खराब होने लगीं। इसके बाद कांग्रेस राष्ट्रपति शासन लगाकर सरकारों को गिराने और अपने निजी स्वार्थों की सिद्धि में लग गई। कांग्रेस ने 88 बार राष्ट्रपति शासन लगाया। जिसके बाद राज्यों और केंद्र का चुनाव अलग-अलग होने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के लिए वरदान बनकर आए हैं। वह जबसे प्रधानमंत्री बने हैं ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के एक से एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल ने 565 छोटी-बड़ी रियासतों का विलय किया। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे का नारा दिया। 23 जून 1953 को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का दाह संस्कार पश्चिम बंगाल में हो रहा था, तब एक नारा लगा कि जहां हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है। उसके बाद विद्यार्थी परिषद ने नारा दिया कि जम्मू हो या गुवाहाटी अपनी धरती अपनी माटी। इन दोनों ही नोरों को साकार करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बनें और धारा 370 और 35ए समाप्त किया। प्रधानमंत्री मोदी जी ने पहले अमृत महोत्सव, अमृत काल, संकल्प से सिद्धि, पंच प्राण और 2047 में विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया।
प्रधानमंत्री जी भ्रष्टाचार पर नकेल कसने वन नेशन-वन इलेक्शन ला रहे हैं
भाजपा के प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत में पहले अलग-अलग पावर ग्रिड थे, आज भारत में ‘वन नेशन-वन पावर’ ग्रिड है। दुनिया की एकमात्र एक स्थान से संचालित होने वाली सबसे बड़ी पावर ग्रिड किसी के पास है तो भारत के पास है। भारत के सभी लोगों के इलाज के लिए वन नेशन वन इंश्योरेंस मतलब आयुष्मान भारत योजना हैं। किसानों को कोई समस्या न होने पाए इसके लिए ‘वन नेशन वन फर्टिलाइजर’ का भी कॉन्सेप्ट लाया गया। फिर ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ लागू किया गया। वन नेशन वन मोबिलिटी कार्ड और वन रैंक पेंशन लाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में राजनीतिक स्थिरता, समृद्धि, सुचिता व पवित्रता बनाये रखने और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 के इलेक्शन में इलेक्शन कमीशन का 1.35 लाख करोड़ रुपए और 2019 के इलेक्शन में 60 हजार करोड रुपए व्यय हुआ। वर्ष 2023 में केवल चार राज्यों का चुनाव हो रहा था तब 1760 करोड रुपए इलेक्शन कमीशन ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ से जब्त किये थे। दुनिया के बहुत से देश जैसे अमेरिका, ब्राजील, स्वीडन, इंडोनेशिया, जापानी, जर्मनी और फिलिपींस में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ होता है। इसी प्रकार हमार देश भी अब विकसित भारत, समृद्धिशाली भारत, स्थिर भारत बनेगा और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में एक नई पहचान देगा। भारत ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की ओर आगे बढ़ेगा और हम सब लोग मिलकर के विकसित भारत के सपने को साकार करेंगे।
एक साथ चुनाव होने से संसाधनों की बचत, विकास के लिए अधिक समय मिलेगा-कैलाश विजयवर्गीय
प्रदेश शासन के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ आज देश की आवश्यकता बन गया है। लोकतांत्रिक मर्यादाओं का संरक्षण होगा और बार-बार लगने वाली आचार संहिता से विकास कार्य प्रभावित नहीं होंगे। स्वतंत्रता के बाद प्रारंभिक वर्षों में देश में एक साथ चुनाव होते थे, लेकिन कांग्रेस की तानाशाही के कारणयह व्यवस्था टूट गई। देश की रियासतों को मिलाने का काम सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया, लेकिन पं.जवाहरलाल नेहरू की एक गलती ने ‘एक देश में दो संविधान’ बनाकर बहुत बड़ी गलती की थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक देश, एक संविधान’ लागू करके राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया, अब ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार भी उसी दिशा में अगला कदम है। उन्होंने कहा कि बार-बार होने वाले चुनावों के कारण सरकारें लंबे समय तक आचार संहिता में बंधी रहती हैं, जिससे विकास कार्य रुक जाते हैं। उन्होंने इंदौर का जिक्र करते हुए कहा कि जहां लगातार तीन वर्षों 2022 में नगर निगम, 2023 में विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव के कारण विकास की रफ्तार धीमी पड़ गई। उन्होंने कहा कि बंगाल की राज्य सरकार अपनी राजनीतिक कुर्सी बचाने के लिए आंतरिक सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की अनदेखी कर रही हैं। बिहार में विपक्षी दलों और नकली गांधी ने हल्ला मचाती है। यह लोग देश को गलत दिशा में ले जाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव होने से शासन अधिक स्थिर और जवाबदेह बनेगा। उन्होंने कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ लागू होने से भारत न केवल विकास के नए आयाम छुएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक मजबूत और प्रभावशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा। इस व्यवस्था से बचाया गया धन और समय देश-प्रदेश के विकास कार्यों में लग सकेगा, जिससे आम नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा।
इस दौरान पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती, प्रदेश महामंत्री व सांसद सुश्री कविता पाटीदार, संभाग प्रभारी राघवेन्द्र गौतम, इंदौर महापौर पुष्यमित्र भागर्व, युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री रोहित चहल, जिला अध्यक्ष सुमित मिश्रा एवं विधायक मधु वर्मा सहित छात्र नेता डॉ. रोहिन राय एवं गजेन्द्र तोमर मंचासीन रहे।