चुनावी मुक्तक

रुख हवाओं का, नदी की धार बदल दो ।
युवा हो तुम मे जोश है संसार बदल दो ।
लड़ रहे चुनाव जो पार्टी बदल बदल,
हम कह रहे है आप से सरकार बदल दो ।
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सड़कों मे जो थे गड्ढे खाई पाट रहे है ।
हर गांव मे कम्बल, रजाई बाँट रहे है ।
जिसने गरीबों को चटाया पाँव पाँच साल,
वो आज गरीबों के चरण चाट रहे है ।।

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कवि आशीष तिवारी जुगनू 8871887126
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