विवादित स्थल से हटाए जाएंगे मस्जिद के अवशेष?
लखनऊ (ईएमएस)। अयोध्या में 25 नवंबर को धर्म सभा होने जा रही है। इस सभा के लिए हजारों साधु संत और लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंच रहे हैं। चर्चाओं के अनुसार पिछले कई माहों से साधु संतों के नेतृत्व में अयोध्या के राम मंदिर निर्माण को लेकर जो रणनीति तैयार की गई है। उसमें कारसेवक साधु संतों के नेतृत्व में विवादित स्थल से, मस्जिद के अवशेष को हटाकर, शिलान्यास करके राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को शुरू करेंगे। आस्था के नाम पर लाखों लोगों की भीड़ राम मंदिर के निर्माण का रास्ता प्रशस्त करेगी।
धर्म सभा और विवादित ढांचा
अयोध्या में सुनयोजित रणनीति के तहत जो धर्म सभा आयोजित की गई है। उसके लिए सरकार, अयोध्या आने जाने वाले लोगों को विवादित स्थल पर जाने से रोकेगी। इससे भीड़ भड़केगी, और वह है सुरक्षाबलों के सारे इंतजामों को धता बताते हुए विवादित स्थल पर प्रवेश करेगी। यह भीड़ सबसे पहले विवादित ढांचे को वहां से अलग करेगी, और कार सेवकों का 1 वर्ग मंदिर निर्माण के लिए शिलाओं को राम मंदिर निर्माण स्थल पर रखना शुरू कर देंगे।
सरकार की मजबूरी या रणनीति?
केंद्र एवं उत्तर प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति से वहां पर कोई निर्माण संभव नहीं है। केंद्र एवं राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए अयोध्या में पैरा मिलिट्री एवं पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया है। पुलिस फोर्स प्रतिबंधित स्थल पर जाने से भीड़ को कई स्थानों पर रोकेगी। किंतु लाखों की संख्या में साधु- संत और कार सेवकों के पहुंचने के कारण और पुलिस बल को बल प्रयोग की अनुमति नहीं होने पर विवादित स्थल पर हजारों कार सेवकों मंदिर का प्रतीकात्मक निर्माण साधु संतों की देखरेख में शुरू कर देंगे।
राम मंदिर का विरोध नहीं कर रहे मुस्लिम
राम मंदिर निर्माण को लेकर संघ साधु संत, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, शिवसेना और हिंदू संगठनों द्वारा पिछले 1 माह से जो वातावरण तैयार किया गया है। देशभर में मुस्लिम समाज अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का ना तो विरोध कर रहा है। मुस्लिम संगठन और मुस्लिम नेता सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बात जरूर कर रहे हैं। इससे संघ और उसके अनुवांशिक संगठनों की चिंताएं बढ़ गई हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव के दौरान तथा लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि के लिए राम मंदिर निर्माण का जो मुद्दा उठाया गया था। वह हिंदुओं को उत्तेजित नहीं कर रहा है। इससे संघ और भाजपा की चिंताएं बढ़ गई हैं। उन्हें हिन्दु-मुस्लिम ध्रुवीकरण की जो आशा थी। वह पूरी नहीं हो रही है।
कानून व्यवस्था और कोर्ट का सम्मान
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार ने 25 नवंबर के अयोध्या की धर्म सभा को ध्यान में रखते हुए भारी मात्रा में पुलिस बल अयोध्या में तैनात कर दिया है। साधु संतों के नेतृत्व में लाखों कारसेवक आयोध्या पहुंच रहे हैं। भीड़ को प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश पुलिस बल करेंगे। पुलिस बल हजारों कार सेवकों की गिरफ्तारी भी करेगा। किंतु पुलिस बल द्वारा बल प्रयोग नहीं होने से, साधु संत और कारसेवक बड़ी संख्या में विवादित स्थल पर जाकर राम मंदिर निर्माण का काम शुरू कर देंगे। लाखों की भीड़ को नियंत्रित कर पाने में सुरक्षा बल सक्षम नहीं होंगे। ऐसी स्थिति में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की भूमिका तथा सुप्रीम कोर्ट के स्थगन के बाद मंदिर निर्माण प्रक्रिया शुरू होने पर केंद्र एवं राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी पूर्ण करने और सुप्रीम कोर्ट को भी स्थितियों से अवगत कराते हुए अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी पूरा करने की बात कहकर अपना बचाव करेगी।
विवादित स्थल में कब्जा मुख्य उद्देश्य
कारसेवकों के, सूत्रों के अनुसार सुनियोजित रणनीति के तहत विवादित स्थल से मस्जिद के अवशेष को हटाकर राम मंदिर निर्माण की जगह को अपने कब्जे में लेकर, उसमें प्रतीकात्मक निर्माण शुरू करके सुप्रीम कोर्ट में हिंदू संगठन अपना पक्ष मजबूत करना चाहते हैं। साधु संतों का यह भी मानना है, कि राम मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या के मुस्लिम और बाहर के मुस्लिम कोई विरोध नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण मंदिर निर्माण का यह सबसे अच्छा मौका है।
अखिलेश बोले मिलिट्री तैनात करो
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वर्तमान स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार से मिल्ट्री फोर्स विवादित स्थल पर तैनात करने की मांग की है। मुस्लिम संगठन भी अपनी प्रतिक्रिया में सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने की बात कह रहे हैं। मंदिर निर्माण को लेकर मुस्लिमों हिंदू समाज मैं भी कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं होने से, यह मामला संघ, भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद और संघ के अनुवांशिक संगठनमें चिंतित है। आम आदमी में भी राम मंदिर निर्माण को लेकर कोई विशेष उत्तेजना देखने को नहीं मिल रही है।
ईएमएस/चन्द्रबली सिंह 24 नवम्बर 2018