अब बस्ते के बोझ तले नहीं दब पाएगा बचपन: भारत सरकार

 बस्ते के बोझ तले नहीं दब पायेगा बचपन क्योंकि भारत सरकार ने एक प्रपत्र जारी कर कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक के बच्चों के बस्ते का बोझ सीमित कर दिया है।
20 नवंबर को जारी इस सर्कुलर के अनुसार अब प्रत्येक कक्षा और बच्चे की उम्र के हिसाब से बस्ते का वजन निर्धारित होगा।
गैर सरकारी संगठन स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग के प्रदेशाध्यक्ष बृजपाल परमार और प्रदेश महासचिव भारत भूषण बंसल ने आज यूनीवार्ता को बताया कि सर्कुलर के अनुसार कक्षा पहली और दूसरी में पढ़ने वाले बच्चों के बस्ते का वजन डेढ़ किलोग्राम, तीसरी से कक्षा पांचवीं के बच्चों के बस्ते का वजन 2 से 3 किलोग्राम, छठी से आठवीं तक के बच्चों के बस्ते का वजन चार किलोग्राम, आठवीं से नौंवी तक बस्ते का वजन साढ़े चार किलोग्राम और दसवीं से बारहवीं में पढ़ने वाले बच्चों के बस्ते का वजन पांच किलोग्राम से अधिक नहीं होगा।
श्री परमार और श्री बंसल के अनुसार इसके अलावा भारत सरकार व राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त सभी निजी स्कूलों में कक्षा पहली व दूसरी कक्षा के बच्चे को कोई भी होमवर्क नहीं दिया जाएगा। इसके साथ-साथ कक्षा पहली से दूसरी तक भाषा, गणित विषय से संबंधित केवल दो ही किताबें अनिवार्य हैं, जबकि कक्षा तीसरी से पांचवीं तक भाषा, ईवीएस, गणित विषय की केवल एनसीईआरटी पाठयक्रम की पुस्तकें अनिवार्य की गई हैं।
श्री परमार ने बताया कि भारत सरकार ने अपने प्रपत्र में सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को सख्त हिदायतें दी हैं कि कक्षावार बच्चों के बस्ते का वजन निर्धारित से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
श्री परमार ने बताया कि निजी स्कूलों में एनसीईआरटी पाठयक्रम की पुस्तकें लागू किए जाने संबंधी एक मामले की सुनवाई 6 दिसंबर को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में होनी है। न्यायालय में दायर की गई याचिका में खासतौर पर निजी स्कूलों के मनमाने ढंग से निजी प्रकाशकों के साथ सांठगांठ कर मोटा मुनाफा कूटने की नियत से बच्चों एवं अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डालकर पाठयक्रम की पुस्तकें थोपने की शिकायत की गई है।