(रांची)कोलेबिरा विस उपचुनाव में एनडीए-यूपीए बिखरा

आजसू पार्टी ने निर्दलीय बसंत डुंगडुंग को दिया समर्थन, भाजपा भी अलग रणनीति के तहत चुनाव प्रचार में जुटी, मुख्यमंत्री का अब तक दौरा नहीं
रांची,(ईएमएस)।झारखंड में कोलेबिरा विधानसभा उपचुनाव के लिए सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी गठबंधन यूपीए में बिखराव साफ नजर आ रहा है। कोलेबिरा विधानसभा सीट के लिए 20दिसंबर को होने वाले मतदान को लेकर अब चुनाव प्रचार जोर पकड़ लिया है। उपचुनाव में भाजपा ने बसंत सोरेंग को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने नमन विक्लसन कोंगाड़ी को प्रत्याशी घोषित किया है।
सत्तारूढ़ गठबंधन और सरकार में शामिल आजसू पार्टी ने उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बसंत सोरेंग की जगह निर्दलीय बसंत डुंगडुंग को समर्थन देने का ऐलान किया है। आजसू पार्टी की केंद्रीय समिति ने उपचुनाव में निर्णय लेने की जिम्मेवारी स्थानीय जिला समिति को सौंपी थी। जिसके बाद कोलेबिरा उपचुनाव में आजसू पार्टी के जिला अध्यक्ष तिलका रमन ने अपनी पूरी टीम का समर्थन निर्दलीय उम्मीदवार बसंत डुंगडुंग को देने का निर्णय लिया है। आजसू पार्टी के इस निर्णय से भाजपा को झटका लगा है। हालांकि भाजपा ने भी कोलेबिरा विधानसभा उपचुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाते हुए लिट्टीपाड़ा और गोमिया विधानसभा उपचुनाव से अलग रणनीति के तहत चुनाव प्रचार की रणनीति बनायी है। यही कारण है कि पूरे उपचुनाव में अब तक मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा एक बार भी चुनाव प्रचार के लिए अब तक कोलेबिरा का दौरा नहीं किया गया है। वहीं मुख्यमंत्री आगामी 15 दिसंबर से संयुक्त अरब अमीरात के लिए रवाना हो रहे है,ऐसी स्थिति में यह कम ही संभावना है कि वे चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे। हालांकि पार्टी के अन्य प्रदेश पदाधिकारी कोलेबिरा में कैंप कर रहे है। कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र ईसाई-आदिवासी बाहुल क्षेत्र है और इस सीट पर भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत सकी है।
दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी नमन विक्लन कोंगाड़ी को झारखंड विकास मोर्चा ने समर्थन देन का ऐलान किया है, लेकिन मुख्य विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल ने कांग्रेस की जगह झारखंड पार्टी प्रत्याशी मेनन एक्का को समर्थन देन का निर्णय लिया है। पूर्व मंत्री एनोस एक्का की पत्नी और सिमडेगा जिला परिषद अध्यक्ष मेनन एक्का का क्षेत्र में काफी प्रभाव माना जाता है और झामुमो एवं राजद का समर्थन मिलने से झारखंड पार्टी कार्यकर्त्ताओं का मनोबल ऊंचा हुआ है। इस तरह उपचुनाव में यूपीए-एनडीए के बिखरने के बावजूद मुख्य मुकाबला झारखंड पार्टी, कांग्रेस और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है, हालांकि उपचुनाव में दो अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी भाग्य आजमा रहे है।
सिन्हा/2.00/13दिसंबर18