नई दिल्ली (ईएमएस)। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने किसानों की कर्जफाफी का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे फैसलों से राजस्व पर गंभीर असर पड़ेगा। राजन ने कहा किसान कर्ज माफी का सबसे बड़ा फायदा सांठगाठ करने वालों को मिलता है। अकसर इसका लाभ गरीबों को मिलने की बजाए उन्हें मिलता है, जिनकी स्थिति बेहतर है। उन्होंने कहा जब भी कर्ज माफ किए जाते हैं, तो देश के राजस्व को भी नुकसान होता है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपनी रैलियों में किसानों से वादा किया था अगर मध्य प्रदेश में उनकी सरकार बनी तो 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा है कि वह जल्दी ही चुनाव पूर्व किए वादे पूरा करेंगे।
यह पहली बार नहीं है, जब किसानों की कर्ज माफी को लेकर विरोध हुआ है। इससे पहले जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था, तब भी विरोध हुआ था। तब देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की तत्कालिन चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी किसान कर्ज माफ किए जाने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने अनुशासन बिगड़ने की बात कही थी। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा किया गया तो कर्ज लेने वाले कर्ज चुकाने के बजाय अगले चुनाव का इंतजार करेंगे। किसान कर्ज माफी का विरोध करने वालों में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रहे एसएस मूंदड़ा भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने बीते साल राज्य के 86 लाख किसानों का करीब 30,729 करोड़ का कर्ज माफ किया था। राज्य के 7 लाख किसानों का जो लोन एनपीए बन गया है, वह भी माफ कर दिया गया था। वहीं महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने 35 लाख किसानों का 1.5 लाख रुपए तक का लोन माफ किया था। 9 लाख किसानों को लोन के वन टाइम सेटेलमेंट का फायदा दिया गया, जबकि पंजाब में कांग्रेस सरकार ने 5 एकड़ तक की खेती की जमीन वाले किसानों को 2 लाख रुपए तक की कर्जमाफी की। कर्नाटक में सहकारी बैंक से लिए गए हर किसान का 50,000 रुपए तक का कर्ज माफ किया गया।
अनिरुद्ध, ईएमएस, 14 दिसंबर 2018