मुंबई (ईएमएस)। एक अदालती आदेश के चलते आयकर विभाग को कालेधन और कर चोरी को रोकने में नई परेशानी आ सकती है। अब कर चोरी में मददगार व्यवस्था वाले यानी टैक्स हेवेन देशों के बैंकों में पैसा रखने वाले, विदेशी संपत्ति के मालिक और विदेशी ट्रस्ट में हिस्सेदारी रखने वाले कई लोग भारत के आयकर विभाग की कार्रवाई से बच सकते हैं। अदालत के एक हालिया आदेश के कारण आयकर विभाग के लिए 31 मार्च 2005 से पहले की विदेशी कमाई और एसेट्स के बारे में सवाल करना मुश्किल होगा।
इस आदेश के चलते हालांकि कई एनआरआई और वैध आमदनी वाले कई भारतीय भी टैक्स अधिकारियों के हाथों परेशान होने से बच जाएंगे। टैक्स हेवेन देशों के जानकारी साझेदारी पर कदम बढ़ाने के साथ पिछले कुछ वर्षों में कर कानूनों को कड़ा किया गया है ताकि विदेश में रखी गई अघोषित संपत्ति को भारत लाया जा सके। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 148 के तहत टैक्स विभाग इनकम के दोबारा असेसमेंट के लिए नोटिस दे सकता है। ऐसा नोटिस जारी करने की टाइम लिमिट उस असेसमेंट ईयर के अंत से छह साल तक की है, जिसकी इनकम असेसमेंट के दायरे में नहीं सकी हो। यह प्रावधान भारत में हासिल उस इनकम पर लागू होता है, जिस पर टैक्स न चुकाया गया हो। हालांकि विदेश में हासिल अघोषित इनकम या वहां खरीदी गई एसेट्स के मामले में इस टाइम लिमिट को बढ़ाकर 16 साल कर दिया गया था। ऐसा साल 2012 में इनकम टैक्स एक्ट में बदलाव के जरिए किया गया था। यानी अगर टैक्स विभाग को शक हो कि भारत में हासिल इनकम पर असेसमेंट ईयर 2012-13 में टैक्स नहीं दिया गया था तो वह 31 मार्च 2019 को या उससे पहले नोटिस दे सकता है। वहीं इसी असेसमेंट ईयर के लिए विदेश में छिपाई गई इनकम या एसेट्स के मामले में विभाग 31 मार्च 2028 तक नोटिस दे सकता है।
विपिन/ईएमएस/ 17 दिसंबर 2018