शोक प्रस्ताव के बाद उप्र विधानसभा की कार्यवाही स्थगित

लखनऊ 18 दिसम्बर(वार्ता)उत्तर प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार को शीतकालीन सत्र के पहले दिन शोक प्रस्ताव के बाद दिनभर के लिये स्थगित कर दी गयी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में शीतकालीन सत्र के पहले दिन समाजवादी पार्टी(सपा) के सदस्यों के काफी देकर तक हंगामा करने के बाद भी कार्यवाही शुरू की गई। सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) विधायक राम कुमार वर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के निधन पर शोक प्रस्ताव के बाद विधानसभा को बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।
कार्यमंत्रणा समिति की साेमवार को हुई बैठक में सदन के 21 दिसंबर तक के कार्यक्रम को मंजूरी दी गई थी। वहीं, विपक्ष ने सत्र की अवधि और बढ़ाने की मांग की। विपक्ष ने विधानमंडल सत्र की अवधि एक माह करने की मांग की। विपक्षी दलों के नेताओं ने सर्वदलीय बैठक में भी सत्र की अवधि बढ़ाने का मुद्दा उठाया। शीतकालीन सत्र में चार और बैठकें प्रस्तावित हैं। इस तरह इस साल मात्र 25 बैठकें होंगी।
इससे पहले उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सपा विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों ने विधानभवन के सामने प्रदर्शन किया। विधानसभा सत्र के पहले दिन सत्र शुरू होने से पहले ही सपा के सदस्यों ने धरना प्रदर्शन शुरू किया था।
सपा विधायकों तथा विधान परिषद सदस्यों ने विधानभवन के बाहर प्रदर्शन किया। विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले सपा के सभी विधायक विधानभवन के सामने एकत्र हुये और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सपा के विधायक प्याज, आलू की माला पहनकर धरने पर बैठे थे। इसके साथ ही सपा के कई विधायकों ने अनाज की टोकरी सर पर रखकर प्रदर्शन करने के साथ साथ गन्ना किसानों की समस्या उठाई। माना जा रहा है कि इस सत्र में विपक्षी दल बुलंदशहर में इंस्पेक्टर की हत्या समेत कई ऐसे मामले पर आक्रामक होंगे। सरकार को घेरने के लिए विपक्ष की जोरदार तैयारियों को देखते हुए संकेत मिले हैं कि शीतकालीन सत्र में काफी गरमा-गरमी रहेगी। सरकार ने विशेष रूप से द्वितीय अनुपूरक बजट के लिए शीतकालीन सत्र बुलाया है।
बुलंदशहर में इंस्पेक्टर की हत्या, राजधानी में भाजपा नेता की हत्या, नोएडा में सर्राफ समेत कई बड़ी लूट और प्रदेश भर में कानून-व्यवस्था से जुड़े मामलों को लेकर विपक्ष हमलावर रहेगा।
सपा का कहना है कि सरकार किसानों से जुड़े वादे पूरे नहीं कर रही है। वहीं, कानून-व्यवस्था बेहाल है। बुलंदशहर में हुई हिंसा इसका प्रमाण है। प्रदेश के नागरिक भयभीत हैं।
भंडारी
वार्ता