सीसीआईएम ने कसा कॉलेजों पर शिकंजा
भोपाल (ईएमएस)। सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) ने कहा कि कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को संबंधित राज्य के चिकित्सा बोर्ड में पंजीयन कराना होगा। एक फैकल्टी की एक साथ दो राज्यों के कॉलेजों में गिनती न हो, इसलिए सीसीआईएम ने यह व्यवस्था की है। सीसीआईएम ने व्यवस्था लागू कर आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा कॉलेजों पर शिकंजा कसना प्रारंभ कर दिया है। अभी सीसीआईएम में पंजीयन होने पर देश में कहीं भी प्रैक्टिस करने की अनुमति थी। हालांकि, शिक्षक और कॉलेज इसका विरोध कर रहे हैं। सीसीआईएम का कहना है कि इससे परेशानी बढ़ जाएगी।सीसीआईएम ने सभी राज्यों के विश्वविद्यालयों, रजिस्ट्रेशन बोर्डों व कॉलेज प्राचार्यों को आदेश जारी कर इस पर जल्द अमल करने को कहा है।
सूत्रों की माने तो इससे प्रदेश के 19 आयुर्वेद, 4 यूनानी व 2 नैचरोपैथी कॉलेजों समेत देशभर के 506 कॉलेजों की मान्यता पर अगले सत्र से संकट आ सकता है। वजह, सत्र 2019-20 की मान्यताओं के लिए सीसीआईएम व आयुष मंत्रालय के निरीक्षण में यह शर्त शामिल रहेगी। जनवरी-फरवरी 2019 में निरीक्षण होने की उम्मीद है। आयुष मेडिकल एसोसिएशन (एएमए) व आयुर्वेद पीजी एसोसिएशन (एपीजीए) ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय आयुष मंत्री व सीसीआईएम अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस ओदश को रद्द करने की मांग की है। उधर आयुष शिक्षकों ने सीसीआईएम की नई व्यवस्था का यह कहते हुए विरोध किया है कि अब हर जगह शिक्षकों का ब्यौरा आधार कार्ड से जुड़ा है तो गड़बड़ी की संभावना नहीं है। ऐसे में एक देश एक रजिस्ट्रेशन का नियम मान्य करना चाहिए। इस संबंध में आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने बताया कि सीसीआईएम के 1970 के नियम में साफ हैं कि सीसीआईएम में पंजीयन के बाद चिकित्सक देश में कहीं भी प्रैक्टिस कर सकता है। अब संबंधित प्रदेश के चिकित्सा बोर्ड में पंजीयन अनिवार्य करने से प्रदेश के करीब 1500 चिकित्सा शिक्षक प्रभावित होंगे।
सुदामा/19दिसंबर2018