लखनऊ। उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में विभाजित करने की मांग एक बार फिर तेज हो चली है। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसे गैर-जरूरी मांग बताया है। उन्होंने कहा आबादी बोझ नहीं, बल्कि लाभांश है और उसका सही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। गृहमंत्री ने उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा लोग तर्क देते हैं कि उत्तर प्रदेश का विभाजन किए बगैर राज्य का विकास नहीं किया जा सकता, लेकिन यह तर्क मुझे ठीक नहीं लगता।
कल को कोई यह भी कहना शुरू कर देगा कि आबादी के लिहाज से चीन के बाद भारत सबसे बड़ा देश है। यह मुल्क भी तब तक विकसित नहीं हो सकता, जब तक इसके टुकड़े न किए जाएं। उन्होंने सवाल किया तो क्या आप इस बात का समर्थन करेंगे? उन्होंने कहा जनसंख्या को बोझ नहीं समझा जाना चाहिए। यह एक डेमोग्रैफिक डिविडेंट (जनसांख्यिकीय लाभांश) है। जनसंख्या वास्तव में हमारी श्रमशक्ति है। इसका उपयोग कैसे किया जाए और हम देश के विकास में उसका अधिकतम योगदान कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं, यह तय करने की जरूरत है।
राज्य का विभाजन इसका कोई हल नहीं है। गृहमंत्री ने कहा हमारा प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जिसमें न तो प्राकृतिक सम्पदा की कमी है और न आवश्यक संसाधनों की। इसके बंटवारे की जरूरत नहीं है। सिंह ने इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान करने वाली 24 हस्तियों को उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान से नवाजा।
उल्लेखनीय है कि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने विकास की दृष्टि से उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की मांग उठाई है। इसके लिए उसने हाल ही में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया है। इसके अलावा खुद उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की मांग कर रही है। आगामी लोकसभा चुनाव में वह इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएगी।
वैसे उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग पहले भी कई बार उठ चुकी है, लेकिन इस पर ठोस पहल तत्कालीन मायावती सरकार ने की थी। नवम्बर, 2011 में मायावती सरकार ने राज्य को चार हिस्सों पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, बुंदेलखंड और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित करवाकर केन्द्र के पास भेजा था।
अनिरुद्ध, ईएमएस, 24 दिसंबर 2018