केंद्र सरकार के तहत कार्यरत नीति आयोग ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक, 2017 को कानून में बदलने की वकालत की है। आयोग का कहना है कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) और भारतीय नर्सिग परिषद (एनसीआई) दोनों ही डॉक्टरों, नर्सो व अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की पर्याप्त उपलब्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं।
‘स्ट्रैटेजी फॉर न्यू इंडिया एट 75’ शीर्षक से जारी किए गए अपने दस्तावेज में नीति आयोग ने नर्सिग स्कूलों में गुणवत्ता परक ट्रेनिंग सुनिश्चित करने के लिए नर्सिग शिक्षा की नियामक व्यवस्था में आमूलचूल सुधार की सिफारिश की है। आयोग ने सरकारी नर्सो की संख्या बढ़ाने और नर्सिग में उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने का भी सुझाव दिया है।
देश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए आयोग ने विदेश से डॉक्टरों को बुलाने, खासकर विदेश में काम करने वाले भारतीय मूल के डॉक्टरों, के लिए माहौल तैयार की सिफारिश की है। एम्स और एनआइई जैसे संस्थाओं में विदेश विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त करने के लिए भी कहा है। देश के 40 फीसद जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध करने का भी सुझाव दिया है।
आयोग ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों, नर्सो, विशेषज्ञों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती में भी संतुलन बनाने को कहा है। अभी ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में डॉक्टर चार गुना और नर्स तीन गुना ज्यादा हैं।
विपिन/ईएमएस/ 24 दिसंबर 2018