नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के थिंकटैंक माने जाने वाले केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पार्टी के उन लोगों में शुमार हैं जिन्हें संकटमोचक कहा जाता है। लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से निराश भाजपा को उभारने के लिए इन दिनों केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली सक्रिय हैं। हाल ही के दिनों में जेटली ने जिस तरह से बिहार में सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग फॉर्मूला निकाला और एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान को साधकर रखने में सफल हुए हैं। इसके अलावा उन्होंने जीएसटी में राहत देकर महंगाई को नियंत्रण करने का संदेश दिया है। इससे साफ हो गया है कि जेटली पार्टी और मोदी सरकार के लिए संकटमोचक है।
गौरतलब है कि बिहार में एनडीए से कुशवाहा के नाता तोड़ने के बाद से रामविलास पासवान ने बगावती सुर अख्तियार कर लिए थे। उन्होंने सीट शेयरिंग के लिए भाजपा को 31 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दे दिया था। एनडीए में इस खींचतान को खत्म करने में केंद्रीय वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली आगे और उन्होंने रामविलास पासवान और उनके भाई व बेटे चिराग पासवान के साथ संसद भवन में बैठक कर उन्हें साधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी के बाद बिहार में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हुआ।
इन्हीं कोशिशों का नतीजा था कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, जदयू अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोजपा के अध्यक्ष रामविलास पासवान रविवार को एक साझा प्रेस कॉफ्रेंस करके बिहार की सीट शेयरिंग का ऐलान किया। बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से बीजेपी-जदयू 17-17 और 6 सीटों पर लोजपा चुनाव लड़ेगी। हालांकि, किस पार्टी को कौन सी सीट दी जाएगी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
ज्ञात हो कि 2013 के बाद जेटली पहली बार पार्टी के लिए अपनी पुरानी ‘संकटमोचक’ की भूमिका में नजर आए हैं। बिहार के नेताओं से भलीभांति परिचित अरुण जेटली ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को रामविलास पासवान की पार्टी को 6 लोकसभा सीटों के अलावा 1 राज्यसभा सीट देने के लिए तैयार किया। जबकि पहले शाह 6 सीट तो देना चाहते थे, लेकिन राज्यसभा के लिए तैयार नहीं थे।
यही नहीं, लोकसभा चुनाव से पहले अरुण जेटली ने जिस तरह से जीएसटी काउंसिल की 31वीं बैठक में आम उपयोग की 33 वस्तुओं पर जीएसटी की दर घटाई है। इनमें वो वस्तुएं शामिल हैं जो पहले 18 फीसदी के दायरे में थी। इन वस्तुओं को 12 फीसद और कुछ उत्पादों को 12 फीसद जीएसटी दर से नीचे 5 फीसद की श्रेणी में लाया गया है। इसके जरिए बीजेपी ये संदेश देने में सफल रही है कि महंगाई को नियंत्रण करने के लिए हर कदम उठाने को वह तैयार है।
विपिन/ईएमएस/ 24 दिसंबर 2018