अंतिम चरण में पश्चिम बंगाल में तैनात की जाएंगी सुरक्षाबलों की 800 कंपनियां

-केंद्रीय बलों की तैनाती के मामले में पश्चिम बंगाल ने जम्मू-कश्मीर को पीछे छोड़ा
कोलकाता । लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसा की अब तक 300 से ज्यादा घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बड़े पैमाने पर हिंसा का गवाह बने पश्चिम बंगाल में 19 मई को अंतिम दौर के मतदान के लिए अर्धसैनिक बलों की 800 कंपनियां तैनात की गई हैं। केंद्र को भेजी गई राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी की रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए राज्य में सुरक्षा-व्यवस्था को सख्त किया गया है। राज्यपाल की रिपोर्ट में लोकसभा चुनाव के दौरान हुई हिंसा का ब्यौरा मतदान के हर चरण के हिसाब से दिया गया है। राज्य में शासन चला रही तृणमूल कांग्रेस के काडर की तरफ से कथित तौर पर मतदाताओं को धमकाए जाने की रिपोर्ट्स के मद्देनजर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की सिफारिश की गई है। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में मतदाताओं को भयमुक्त किए जाने की बात कही गई है। ऐसा नहीं होने पर नागरिकों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से मतदान करने के बुनियादी अधिकारों का प्रयोग करने में मुश्किल होने की बात कही गई है।
बंगाल ऐसा राज्य है, जहां 11 अप्रैल से शुरू लोकसभा चुनाव के हर चरण में मतदान हुआ है। इस मामले से वाकिफ सरकारी अधिकारी ने बताया पश्चिम बंगाल प्रशासन ने अर्धसैनिक बलों के 900 कंपनियां मांगी थीं, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार सहित कई और राज्यों में भी उसी दिन मतदान होने के चलते केंद्र सरकार उसे सीएपीएफ की 700 कंपनियां देने पर राजी हुई है। अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय बलों के अलावा वेस्ट बंगाल सरकार राज्य में 110 से ज्यादा स्टेट आर्म्ड फोर्सेज की तैनाती करेगी, जिससे राज्य में अंतिम चरण के मतदान के लिए उपलब्ध जवानों की कंपनियों की संख्या 800 से ज्यादा हो जाएगी।
सरकारी सूत्रों ने कहा लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के लिए केंद्रीय बलों के जवानों की तैनाती के मामले में पश्चिम बंगाल जम्मू-कश्मीर से आगे निकल गया है। इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती चुनाव आयोग और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की रिपोर्ट में राज्य प्रशासन को सभी उम्मीदवारों को बराबरी का मौका नहीं मिलने को लेकर फटकार लगाए जाने के बाद की गई है।
उधर, चुनाव आयोग ने 19 मई को होने वाले मतदान के लिए पश्चिम बंगाल के नौ निर्वाचन क्षेत्रों में हो रहे चुनाव प्रचार पर एक दिन पहले बुधवार को ही रोक लगा दी है। सूत्रों के मुताबिक यह कदम केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से मामले में दखल दिए जाने के बाद उठाया गया है, जिसने चुनावी हिंसा की तरफ ध्यान खींचते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखा था। उसने राज्यपाल की रिपोर्ट पर किया गया असेसमेंट भी दिया था। चुनाव आयोग को भेजे पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई हिंसा और बशीरहाट में भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो पर हमले का जिक्र किया गया है। सरकारी अधिकारी ने कहाकि राज्य में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
अनिरुद्ध, 17 मई 2019