टेप बॉल क्रिकेट से निकले गेंदबाज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल रहे हैं। इस सफलता के पीछे टेप बॉल क्रिकेट है। पाकिस्तान के तेज गेंदबाज हैरिस रऊफ भी टेप बॉल क्रिकेट खेलते थे। एक बार वह पीएसएल टीम लाहौर कलंदर्स के ट्रायल के लिए गए। यहां उनकी रफ्तार ने सबको हैरान कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान के दिग्गज तेज गेंदबाज रहे आकिब जावेद की नजर उन पर पड़ी और फिर हैरिस आगे निकलते गये। टेप बॉल क्रिकेट से ही भारत के मिस्ट्री स्पिनर वरुण चक्रवर्ती ने भी गली क्रिकेट से टीम इंडिया का सफर तय किया है।
टेप बॉल क्या है ओर इससे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गेंदबाजों को किस प्रकार होता है लाभ
टेप बॉल :
इसका जवाब नाम में ही छिपा है, टेप-बॉल एक टेनिस बॉल है, जिसे बिजली के टेप में लपेटा जाता है। ऐसा गेंद को ज्यादा चिकना बनाने के लिए किया जाता है। टेप लगाने के बाद भी यह गेंद पारंपरिक लेदर गेंद से हल्की होती है।
गेंदबाजी में ऐसे मिलता है लाभ
जब कोई गेंदबाज भारी गेंद यानी लेदर बॉल से गेंदबाजी करता है, तो उसकी आर्म स्पीड कम होती है। इसका सीधा सा मतलब गेंद की रफ्तार कम होना पर जब आप टेप बॉल जैसी हल्की गेंद से क्रिकेट खेलते हैं तो आपकी आर्म स्पीड बढ़ जाती है और इससे गेंद की रफ्तार में अच्छा-खासा इजाफा हो जाता है। हारिस रऊफ के मामले में भी ऐसा ही है। वो भी टेप बॉल क्रिकेट खेलकर ही अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे हैं। केवल वही नहीं, शाहीन अफरीदी, वसीम अकरम और आकिब जावेद सब पाकिस्तान की गलियों में इसी तरह की क्रिकेट खेलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक पहुंचे थे।
टेप-बॉल और लेदर बॉल की रफ्तार में अंतर
टेप बॉल सामान्य क्रिकेट बॉल की तुलना में हवा में 20 फीसदी तेजी से निकलती है। इसका मतलब अगर कोई गेंदबाज 135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकता है तो टेप बॉल क्रिकेट में गेंद की रफ्तार बढ़कर 155 किमी प्रति घंटा हो जाएगी क्योंकि यह लेदर बॉल की तुलना में हल्की और छोटी होती है यही वजह है कि टेप बॉल क्रिकेट से निकले पाकिस्तानी गेंदबाज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी रफ्तार से बड़े-बड़े बल्लेबाजों को परेशान कर रहे हैं।
टेप बॉल गेंदबाज क्यों बेहतर यॉर्कर फेंकते हैं ?
अपने करियर की शुरुआती दौर में टेप बॉल से खेलने वाला गेंदबाज अच्छी यॉर्कर फेंकता है। न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछले मैच में मार्टिन गुप्टिल पाकिस्तानी गेंदबाज हारिस रऊफ की जिस यॉर्कर पर चोटिल हुए थे।वो इसका सबूत है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टेप बॉल हल्की होती है। इस पर कोई सीम नहीं होती है। ऐसे में गेंदबाज अपनी रफ्तार और यॉर्कर से ही बल्लेबाज को परेशान कर सकता है और यही टेप बॉल गेंदबाज की सबसे बड़ी ताकत होती है।
गेंदबाज होता है प्रभावी
टेप बॉल से खेलने वाले गेंदबाज को गेंद को किस एंगल से रिलीज करना है, उसकी बेहतर समझ हो जाती है। क्रिकेट गेंद की तुलना में टेप बॉल हवा में ज्यादा तेजी से घूमती है। ऐसे में अगर कोई गेंदबाज हल्की गेंद पर नियंत्रण हासिल कर लेता है, तो पेशेवर क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाले गेंद को कंट्रोल करना उसके लिए बाएं हाथ का खेल हो जाता है।
रिवर्स स्विंग में मिलती है सहायता
टेप बॉल क्रिकेट किसी भी गेंदबाज को रिवर्स स्विंग सीखने में काफी मदद करता है क्योंकि टेप बॉल क्रिकेट गली-मोहल्लों या उबड़-खाबड़ मैदान पर खेला जाता है ऐसे में गेंद पर लगी टेप जल्दी घिस जाती है। ऐसे में गेंदबाज टेप बॉल की एक साइड को चिकना और दूसरी को खुरदुरा बना देते हैं और यहीं से टेप बॉल भी रिवर्स स्विंग होने लगती है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी रिवर्स स्विंग का यही सिद्धांत काम करता है।
भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में लोकप्रिय है टेप बॉल क्रिकेट
भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में टेप बॉल क्रिकेट ज्यादा लोकप्रिय है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां हर जगह क्रिकेट मैदान, एकेडमी या ट्रेनिंग से जुड़ी सुविधाएं नहीं हैं। ऐसे में गली-मोहल्ले या आस-पास के छोटे मैदान पर ही बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। वसीम अकरम, वकार यूनुस, लसिथ मलिंगा और भारत के मिस्ट्री स्पिनर वरुण चक्रवर्ती, अजंता मेंडिस जैसे गेंदबाज इसके उदाहरण हैं।