नई दिल्ली । केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की क्षमता सहकारिता क्षेत्र रखता है।इतना ही नहीं यह कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में अहम योगदान दे सकता है।उन्होंने कहा कि आज लाल बहादुर शास्त्री का श्वेत क्रांति का सपना साकार हो रहा है। अब इससे आगे देखने का समय आ गया है।हमें कृषि और पशुपालन क्षेत्रों के विकास के लिए सहकारिता मॉडल लागू करने की जरूरत है।
गृह मंत्री शाह ने कहा कि सहकारिता मॉडल डेयरी प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी अमूल की सफलता का सबसे बड़ा कारण है।उन्होंने अमूल के 75 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आप 36 लाख किसान परिवारों तक सीमित मत रहिए, आज कई किसान जैविक खेती की ओर बढ़े हैं।उनके पास भारत और दुनिया में अपने कृषि उत्पाद बेचने के लिए सही प्लेटफॉर्म नहीं है।उन्होंने पूछा कि क्या अमूल जैसे सहकारी संस्थान ऐसा करने में उनकी मदद कर सकते हैं? अब इस दिशा में सोचने का समय आ गया है।इससे किसानों की आय बढ़ेगी।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि बीजों के क्षेत्र में समय पर अनुसंधान नहीं किया गया। सहकारिता क्षेत्र को इस दिशा में भी काम करना चाहिए।क्षेत्र को सब्जियों की नई किस्में विकसित करनी चाहिए।इससे निजी कंपनियों को नहीं बल्कि किसानों को फायदा होगा। इससे किसानों की आय दोगुनी करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सहकारिता आंदोलन का अहम योगदान रहेगा।
शाह ने महिलाओं के सशक्तीकरण में अमूल की भूमिका की तारीफ की।उन्होंने कहा कि जुलाई 2021 में बनाया गया नया सहकारिता मंत्रालय अपना चार्टर तैयार कर रहा है।अमूल के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर शाह ने एक डाक टिकट भी जारी किया।उन्होंने अमूल ब्रांड के जैविक उर्वरक की भी शुरूआत की।आणंद में सरदार वल्लभभाई पटेल और खेड़ा जिला सहकारिता दुग्ध उत्पादक के संस्थापक व सहकारिता क्षेत्र के नेता त्रिभुवनदास पटेल के मार्गदर्शन में सहकारिता आंदोलन के तौर पर 1946 में अमूल की स्थापना हुई थी।गुजरात में करीब 36 लाख किसान परिवार अमूल के साथ जुड़े हुए हैं।