आज सुगंधित हो रहा वातावरण
सात्विक विचारों का हो रहा अनुकरण!!
सु मधुर बज रहे छठ का लोकगीत
झूम उठे सारे दिल में भरे अपनत्व और प्रीत!!
सूर्य देवता का करते हैं अर्चन
सुख-समृद्धि जो करे जीवन का अर्जन!!
है यह निर्जला निराहार व्रत
व्रती करते कठिन तपस्या पहनते सुंदर वस्त्र!!
डाले सजने लगे, बाजे भी बजने लगे
देखो सब मुस्कुराए, घाट पर निकलने लगे!!
उगते, डूबते सूर्य को देते हम अर्ध्य!!
ठेकुआ, कसाढ़, फल-फूल करते अर्पण!!
जीवन का यह भरपूर मिठास है
रस,गुढ़,चावल, गेहूँ से मिश्रित यह प्रसाद है!!
हे छठी मैय्या करते हैं तुम को प्रणाम
धर्म अध्यात्मा से परिपूर्ण,करना जग का कल्याण!!
राज कुमारी
गोड्डा, झारखंड