भैय्या तुमसे रौशन ये गुलिस्तां
प्रेम की खूशबू सदा बिखेरते रहना
चाहे जितनी भी दूरी हो जाए
मुझे दुआओं में याद रखना
स्नेह का दीप जलाए रखना
मन के कोने में उजाला रखना
एक ही आंगन में बचपन बीता
मेरी यादों को तुम न भुलाना
मंहगे तोहफे भले मत देना
दिल छोटा कभीं मत करना
जब भी मिलने को मैं आऊं
दरवाजे पर मुस्काते मिलना
चाहे जितनी भी दूरी आ जाए
मन से दूर कभीं मत करना
एक ही बगिया के दो फूल हम
अपना चमन महकाए रखना
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश