तुम ख़ास रहे
हाँ तुम!
हर जगह ,हर समय
दूर होते हुए भी दिखते है
तारो में ध्रुव तारा जैसे
तुमने कभी ध्यान ही नहीं दिया
कोई थी
जो तुम पर हमेशा ध्यान देती थी
जिसे फ़र्क़ पड़ता था
तुम्हारे होने, ना होने से
तुम्हारे साथ रह कर
उसने जाने विश्वास
और अपनेपन के सही मायने
उसने जाना कई बार ज़िंदगी को यूँ
ही छोड़ देना चाहिए
दोस्ती एक सीधे-आड़े रास्ते से
जिसका कोई अंत ही नहीं
सारी मंज़िलों के बाद
रह जायेंगे
ये रास्ते और बाँहें फैलाये
आशाओं का आसमान
तुम जानते हो
वो चाहती है
इस संसार से तुम्हें माँग लेना
तुम्हारे पीछे नहीं साथ चलें
तुम्हारे कंधे पे सर रख
तुम्हारी नज़रों से सारी दुनिया देखे
तुम जानते हो उस
‘कोई’ का कोई
अस्तित्व नहीं तुम्हारी दुनिया में
फिर भी कोई उससे प्रेरित हो
वो कह सके
मैंने हार नहीं मानी तुम्हारे कारण !!
● रीना अग्रवाल, सोहेला (उड़ीसा)