मैं आठ घंटे परिश्रम करता हूं,
नन्हा पौधा लेकर रोपित करता हूं,
छात्रों को मैं ज्ञान का दान देता हूं।
क्यों कि – मैं अतिथि शिक्षक हूं।।
भोजन- पानी का नहीं ठिकाना,
प्रति दिवस विद्यालय में जाना।
संस्था प्रमुख के बातों को माना,
तीन-चार माहो में वेतन पाना।।
दस माह बीत जाने के बाद में,
स्वाति बूंदों के प्रतीक्षा करता हूं।
मन में सोच विचार कर रहता हूं,
क्योंकि- मैं अतिथि शिक्षक हूं।।
लगाम नहीं किस ओर चले जाएं,
तबादले करा कर जो चले आएं।
धक्के मार निकाल दिया जाता,
आप ही बताओ हम कहां जाएं।।
गुहार लगाओ जब सरकार को,
लॉली पोप को दिखा देता है।
बात किसी की सुनता नहीं है,
शासन को वश में कर लेता है।।
छात्रों के हित में काम करता हूं,
अपनी पूरी जी जान लगा देता हूं।
परीक्षा परिणाम अच्छा मैं देता हूं,
क्योंकि- मैं अतिथि शिक्षक हूं।।
देवीदीन चंद्रवंशी
ग्राम – बेलगवां
तहसील पुष्पराजगढ़
जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश