बैशाखी के सहारे वालकोनी में आकर झूले पर मैं बैठ गया आज इतवार जो था हर इतवार को मैं वालकोनी में बैठकर ठंडी ताजी हवा का आनंद और सामने पार्क में खेलते बच्चों को देखते हुए ही चाय का स्वाद मिलता था और मेरी नीरस सी जिंदगी में थोड़ी सी खुशी मिलती थी जिससे मैं पूरे सप्ताह काम करने के लिए चार्ज हो जाता ,
फिर हिमोग्लोविन भी भी तो बढ़ जाती थी।
अंकल के सिवा मेरा दुनिया में कोई था नहीं , उनके जाने के बाद तो मेरी जिंदगी बोझिल सी हो गई है। अगर कोई साथ है तो वो सिर्फ़ मेरी बैसाखी।
साब जी आपकी चाय।
हूं. रख दो…वो चाय रख जाने लगा ।
जरा देर बैठ जाओ…ताजी हवा लगा लो शरीर में इससे फुर्ती और ताजगी बनी रहेगी और काम करने पर थकान भी नहीं होगी।वो बैठ गया।थोड़ी देर चुप्पी का पर्दा लगा रहा
अंततः चुप्पी का पर्दा हटा साबजी ! बुरा न माने तो एक बात पूछूं ?हूं, पूछो ।
साबजी आप का बचपन से ऐसे ही हैं ?
एक लंबी सांस लेकर मैंने कहा.. नहीं ,राजेश भाई ।
फिर साबजी का हुआ था?मैं बहुत गरीब था, कोई नहीं था मेरा मेरे मां बाप कौन थे नहीं जानता । जिस ढाबे में काम करता था उसने मुझे कचरे के डब्बे से उठा लाया, पाला पोसा बाप का प्यार दिया और काम के लायक हुआ तो काम भी दे दिया।
जिंदगी बाबा के सहारे ठीक चल रही थी बाबा भी अकेला था मेरा सहारा बाबा और बाबा का मैं ।
नियति को तो कुछ और ही मंजूर था ।एक दिन अंकल की गाड़ी के निचे मैं आ गया जिससे मेरा ये दाहिना पैर एड़ी के पास से टूट कर चूर चूर हो गया।गलती मेरी ही थी मैं रोड के उस पार से पिसाब करके दौड़ कर आ रहा तभी ये हादसा हुआ। तब मैं बारह साल का था।अंकल मुझे फौरन हॉस्पिटल लेकर गए इलाज कराया।
साबजी फिर पैर काहे…।
डॉक्टर ने कहा ठीक हो भी सकता है नहीं भी क्योंकि हड्डी चूर होने की वजह से ठीक होने में समय बहुत लगेगा।
लेकिन अन्दर ही अन्दर इंफेक्शन हो गया और इतना बढ़ गया कि हड्डी तक पहुंच गया । तब डॉक्टर ने कहा कि कैंसर होने का खतरा है अगर पैर काट दिया जाए तो ठीक होगा वरना..।
मेरी अनुमति से पैर कटवा दिया गया और अंकल मुझे अपने साथ अपने घर में ले आए और बेटे को तरह रखा। मुझे मेरे हिस्से की खुशी का आसमान दिया पढ़ाया लिखाया और अपना सारी संपत्ति और बिजनेस मेरे नाम कर मुझे अकेला छोड़ कर चले गए।
उनका परिवार साबजी ? और आपका वो बाबा ?
बाबा मुझे यहां सुख में देकर बहुत खुश रहते थे पर उनकी बढ़ती उम्र ने उन्हें हमसे छीन लिया।उनका ढाबा का क्या हुआ ?वो मुझे संतान मानते थे तो वसीयत मेरे नाम कर गए।अंकल का एक बेटा जो विदेश पढ़ने गया था । वहीं शादी कर ली और कभी वापस नहीं लौटा आंटी सदमा बर्दास्त नहीं कर सकी और कोमा में दस साल रहने के बाद एक रात कभी न जागने के लिए सो गई।
चार साल बाद एक दिन अंकल मुझे बुला कर सारी जायदाद मेरे नाम कर फाइल मेरे हाथ पकड़ा कर कहे तुम ही मेरे बेटे हो इसमें मैंने सब लिख दिया है कह मेरा साथ छोड़ कर आसमान में बसेरा कर लिए। कह कर सिसकने लगे।
साबजी बुरा न माने तो एक बात कहूं?सर्द आवाज़ में कहा राजेश भाई इन पांच सालों में कभी भी आपको लगा कि मुझे आपकी कोई भी बात बूरी लगी हो ।
जो कहना है बेझिझक कहिए आप मेरे बड़े भाई समान हैं ।
साबजी आप शादी क्यूं नहीं कर लेते?
हूं.. कौन देगा मुझ लंगड़े को लड़की !
साबजी ! आप इतने खूबसूरत हो स्मार्ट हो पैसे वाले हो कौन नहीं चाहेगा आपसे शादी करना । आप सिर्फ हां तो कहो लाइन लग जायेगी।
इतने विश्वास के साथ कैसे कह रहे हो। कोई है तुम्हारी नज़र में?
जी साबजी ! एक लड़की है।
अच्छा कौन है?
वो छह नंबर वाली सिया मैडम है न आपको बहुत पसंद करती है।
अच्छा तुम्हें कैसे पता?
आप जब ऑफिस जाते आते हो न तो वो आपको गौर से देखती है और मुस्कुराती है। एक दिन तो हद ही कर दी साबजी।
ऐसा क्या कर दिया?
वो सा..ब..जी..कहते श..र..म आ रही है ।
अब कहो भी।
वो का कहते हैं. अपना सिर खुजाते हुए हां.. फ्लाइंग किस।
हम उसको बोले तो कही आप नहीं समझोगे । अब तो रोज कुछ न कुछ आपके के लिए बना लाती है। आज भी सुबह सुबह दे गई आपकी पसंद का मूंग दाल का हलवा ।कुछ देर सोचने के बाद हूं.. ठीक है अगर वो लोग तैयार हों तो फिर ठीक है कह कर बैसाखी के सहारे अपने कमरे में आ गए।सबकी की सहमति से पहले मंदिर में फिर कोर्ट मैरिज हो गई।
संजना के हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा मुझ जैसे बैसाखी पर चलने वाले लंगड़े को तुमने सहस्र सप्रेम स्वीकार किया मैं बहुत खुश हूं संजना मुझे मेरे हिस्से का आसमान मिल गया।
जो अभी कहा फिर कभी न कहना खुद को लंगड़ा मैं हूं तुम्हारा पैर तुम्हारी बैसाखी और उसके सीने से लग गई।
हूं.. मैं और मेरी बैसाखी और उसके कपोलों को चूम कर बाहों में भर लिया।
रीता मिश्रा तिवारी
११.११.२०२१