शोर

ये कैसा? अजब – ग़ज़ब सा शोर है।

ये कैसा? अजीब – गरीब सा चोर है॥

स्त्रियों का गायन, रामकथा की वाणी का शोर है।

मंदिर के घंटे की ध्वनि, कहीं अजान पर ज़ोर है॥

फेरी वाले का और सब्ज़ी वाले का कड़क शोर है।

 मैदान के बाहर खेल, हार जीत मे कौन चोर है॥

सड़क पर कतारबद्ध चल रही गाड़ियों का शोर है।

कृत्रिम ध्वनि यंत्र और वाधयंत्र यहाँ घनघोर है॥

इस जहां मे घर ज़मीन के झगड़ों का बड़ा शोर है।

महिलाओं की गपशप और बातों का जोर है॥

फेक्टरीयों में चल रही, इन मशीनों का शोर है

डिजिटल हो रही है दुनियां, नई तकनीकी पर जोर है

एक दूजे को झुका, हर किसी के अहं का शोर है।

देते नहीं किसीका लेकर, मन के भीतर चोर है॥

अर्चना सिंह  ग्रेटर नॉएडा