लौटकर आयेगा

आज ,

जो पीछे छूट रहा है

एक दिन 

जरूर आएगा

जब लौटना होगा

उस रास्ते से वापिस

याद रखना

फिर मिलेंगी

पेड़ों की कतारें

सरसराते जंगल 

बलखाती नदियां,

पीछे छूटता हर दृश्य 

उभर आएगा

आंखों में फिर

जैसे तेज गति से चलती

गाड़ी जब लौटती है

उसे मिलते हैं 

छूटे गांव और

वही ठहराव,

इसलिए जब मिलो 

किसी से,,अदब से मिलना

क्योंकि वे मिलेंगे दोबारा

यात्रा के अंतिम पड़ाव में….

अलका ‘सोनी’

बर्नपुर, पश्चिम बंगाल