राग दरबारी

जुमलेबाज बादशाह

वक्त बगावत मांगता है । मंहगाई की मौसी लोगों की जेबों में तोडाका डाल रही है। सब्जियों ने शर्माना छोड़ दिया है । उल्टे लोगों की शक्लें बिगाड़ रखी है सब्जियों ने । अभी तक हमने लोगों को दुःख के आंसू रोते देखा था । जीवन में पहली बार लोगों को तेल की आंसू रोते देख रहा हूं ।

कभी देखा-सुना था । नदियों की बाढ लोगों के घरों में घुसकर उन्हें घर से बेघर कर देता था । नाकोदम कर दिया करता था । अब मंहगाई की बाढ लोगों के बैंकों में घुस कर उन्हें प्याज के आंसू रोने पर मजबूर कर दिया है । मंहगाई की मार से पूरा देश जार जार रो रहा है और सरकार ” हिन्दुत्व खतरे में ” कह पूंजिपतियों की पीठ सहला रही  है ।

कहीं ऐसा न हो मंहगाई की इस बाढ़ में एक दिन पूरा देश ही डूब जाए और हिन्दुत्व हिन्दुत्व चिल्लाने वाले तेल में तली हुई मछलियों की भांति तैरते नजर आएं !

समय सावधान कर रहा है । समय रहते संभल जाओ का आव्हान कर रहा है कि तेरी यह खामौशी तेरी कई पीढ़ियों को नंपुसक पैदा कर सकती है ।साफ इशारा है । अब देशवासियों को एक स्वर में, एक जुट होकर,कंधा से कंधा मिलाकर यह कहना होगा ” जुमलों के बादशाह- गद्दी छोड़ो ” 

यह उसी तरह का नारा होगा, जैसा कभी आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी ने 1942मे अंग्रेजों से  कहा था ” अंग्रेजों भारत छोड़ो ! “

आजादी के पहले अंग्रेजी शासन काल में देश और देशवासियों की जो दशा थी । जो हालात थे और आज मंहगाई को लेकर देश और देशवासियों की जो हालत है और जो हालात है उसमें बहुत ज्यादा फर्क नहीं है । तब देश में कल कारखाने नहीं थे । और आज हर दिन कोई न कोई कल कारखाने को प्राइवेट कंपनी बनाने या फिर बंद होने की खबरें आती रहती है।

आजादी के सतर सालों में देश का जो विकास हुआ और भाजपा की मोदी सरकार के सात सालों में जो कुछ हुआ वो सब आपके सामने है । पूंजीपतियों की कठपुतली मोदी सरकार अम्बानी-आडानी के आगे घुटने टेक चुकी है । और देश के पढ़े लिखे बेरोजगारों से पकौड़ा तलने को कहा जा रहा है । घूंघट में रहते रहते औरतें भी बगावत पर उतरने लगी है पर देश के युवा जाने क्यों अंध भक्त बन  ताली-थाली बजाते जा रहे है ।

मोदी सरकार के सात आठ सालों में अगर कुछ विकास हुआ है तो वो है मंहगाई और सिर्फ मंहगाई ! सूई से लेकर सलवर तक! रजाई से लेकर राशन पानी तक मोदी मंहगाई की गाथा हर चौक चौराहे पर सुनायी पड़ रही है । हां मोदी सरकार में देश में दंगे फसाद नहीं हुए । हुए भी तो बहुत कम ! उनके लिए यह उपलब्धि हो सकती है परन्तु यह भी परम सत्य है कि पहले भी दंगे फसाद करने वाले यही लोग थे । जो भी हो । मंहगाई पर  आज देश की हालत और हालात दोनों सरकार के काबू से बाहर हो चुकी है । 

अंग्रेज़ों के शासनकाल में देशवासियों पर उनके बढ़ते जुल्म से उपजे आक्रोश ने ही 1943 को आजाद हिन्द फौज का गठन और 4 जुलाई 1944 को नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का ” तुम मुझे खून दो मै तुझे आज़ादी दूंगा ” नारा देना पड़ा था ।

आज देश में मंहगाई  अंग्रेजों के जुल्मों सितम से कहीं अधिक जुल्म ढा रही है और आम और खास दोनों वर्ग के लोग इस मंहगाई से हांफ रहे हैं । जीने के वास्ते मंहगाई और बाजार दोनों से लड़ रहे हैं ।

भाजपा के मोदी सरकार को केन्द्र की सत्ता में आने के पहले आपने कुछ नचनियों के साथ राजनीतिक नटुआरों को भी मंहगाई, बढ़ती गैस, बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों के खिलाफ दिल्लीः संसद भवन के बाहर नाचते -मुजरा करते देखा होगा । कांग्रेस सरकार को डायन कह कह कर कोसते सुना होगा । याद है न ? तब पेट्रोल सतर और डीजल साठ के करीब था और गैस तीन साढ़े तीन सौ के आस पास! आज इन सबकी कीमतें आपकी सांसें रोक रही है और आप अंध भक्ति में डूबे हुए अच्छे दिन के आश  में जी रहे हो !  है न आश्चर्यजनक बात ! ऐसी अंध भक्ति से अच्छा है यमुना नदी में कूद मरो । सभी को पता चल चुका है  मोदी जी के रूप में देश को एक कमाल का एक्टर मिला है ।जो हर चुनाव में पीछे से गैस छोड़ने जैसा जुमले छोड़ना नहीं भूलते है । उसने 2014 में चुनावी मैदान से जुमले छोड़ना शुरू किया जो रातों रात ऐतिहासिक करार  दिया गया  ” आप हमें केन्द्र में सता दें, हम आपको अच्छे दिन देंगे ! हमारा नारा है ” सबका साथ सबका विकास ” साबित कर दिखाएंगे !”

अंधों को क्या चाहिए-दो आंखें ! देशवासियों को क्या चाहिए था-मंहगाई से मुक्ति! डायन कांग्रेस से मुक्ति ! ओ आपको मिली क्या ?  हगने के लिए सुलभ शौचालय मिला ! उसमें आप हगते है क्या ? पेट्रोल डीजल, गैस के दाम कम हुई क्या ? जिस मंहगाई से बचने के लिए तेलिया भतार किये ! कोई फायदा हुआ क्या ? तो फिर इंतजार क्यों ? भतार बदलने का शौक है तो फिर बदलो न! क्या कहा- अच्छे दिन ! नंपुसक सरकार से  विकास की बात ? वो एक चूहा भी पैदा नहीं कर सकती है !  मोदी जी के अच्छे दिन के  नारे पर आप न्यारे-न्यारे हो गये ।  नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का

यह नारा  ” तुम मुझे खून दो मैं तुझे आज़ादी दूंगा ! ” इसके पहले गांधी जी  अंग्रेजों को ललकार चुके थे-” अंग्रेजों भारत छोड़ो !” 

अंग्रेज भारत छोड़ चले गए क्योंकि नेता  जी और गांधी जी का वो ऐतिहासिक नारा था – मोदी  जैसे वे कोई जुमले बाज नहीं थे । कटटर राष्ट्र भक्त थे दोनों ! 

नोटबंदी की पांचवीं बरसी मोदी सरकार ने अभी कुछ ही दिनों पहले मना चुकी है । याद है न आपको या फिर भूल गए । मोदी शाह ने नोटबंदी पर अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा था -” यह नोट बंदी देश के लिए ऐतिहासिक कदम है । नोटबंदी से आतंकवादियों और नक्सलियों की कमर टूट गई है । ” 

बात तो सही कही उन्होंने । इसी उपलब्धि के खुशी में मोदी सरकार ने पुलवामा में पटाखे फोड़े और दूसरी बार सता में आए । यह अलग बात है कि इसी कारण हमारे देश के चौवालिस जवान तथाकथित हिन्दुत्व की भेंट चढ़ गए और मोदी जी शर्म से या फक्र से जाने किस गुफा में घुस गये थे । तब 

मनमोहन सिंह जिन्हें भाजपाई मौनी बाबा कह उपहास उड़ाते रहे हैं ने सख्त टिप्पणी की थी-” नोटबंदी : संगठित लूट और कानूनी डाका थी जो मोदी सरकार ने की ।” 

मोदी जी के कथनानुसार नोटबंदी से आतंकवादियों की कमर टूट गई तो लगले हाथ देश में जी एस टी लागू कर  मोदी सरकार ने काला धन वालों  की कमर तोड दी और मझले और छोटे व्यापारियों की कमर में  हडजोडा बांध दिया है । ताकि चल तो सको पर दौड़ना नहीं है । फिर भी मझले और छोटके कारोबारी ” मंदिर वहीं बनायेंगे ” कहना नहीं भूलते हैं ।

 सतर सालों के इतिहास में कभी कोई बैंक कर्जदार देश छोड़कर भाग नहीं सका था । लेकिन सात आठ सालों के मोदी सरकार में विजय माल्या, मेहुल चौकसी नीरव मोदी जैसे आधे दर्जन गुजराती कारोबारी बैंक लूटकर विदेश भाग गए । यह उसी प्रकार का भागना हुआ जैसे कोई भवासीन सगे भैंसुर के साथ भाग जाती है और नंपुसक पति आंगन में उल्लू की तरह बैठा ताकता रह जाता है । खुद मोदी सरकार  धमका धमका कर रिजर्व बैंक को कई बार लूट चुकी है और ये  भी सतर सालों के इतिहास में पहली बार जो एक राष्ट्र भक्त पार्टी कहलाने वाली सरकार के हाथों हुआ है और आप छोटे मोटे कारोबारी बैंक से छोटे मोटे लोन लेकर तगादा का जीवन जीने को अभिशप्त हो ! फिर भी आपको अगर लगता है कि तथाकथित हिन्दुत्व वाली पूंजिपतियों की यह सरकार आपके लिए अच्छे दिन लेकर आएगी तो समझ लो आप बहुत बड़े गद्धे हो ! जीवन भर जिनको दूसरों का बोझा ढोने के सिवाय कुछ आता नहीं है !

 श्यामल बिहारी महतो

बोकारो, झारखंड

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