तुम्हें फिर भी आगे बढ़ना है

तुम्हें उच्च शिखर पर चढ़ना है

तुम्हें बढ़ना है तुम्हें लड़ना है

तुम्हें उच्च शिखर पर चढ़ना है

तुम्हें बांधेगे जंजीरों से

अभिमान की मिथक लकीरों से

तुम्हें फिर भी संयम धरना है

तुम्हें फिर भी आगे बढ़ना है

रोकेंगे तुम्हारे अपने ही

तोडेंगे तुम्हारे सपने ही

तीरों से तुमको बेधेगे

जहरीले बोल से छेदेगे

तुमको फिर भी नहीं रुकना है

तुम्हें फिर भी आगे बढ़ना है

तुम्हें गमले भर आकाश मिलेगा

सीमित तुमको प्रकाश मिलेगा

फिर भी तुमको खिल जाना है

संपूर्ण वृक्ष बन दिखाना है

अनहोनी को होनी करना है

तुम्हें फिर भी आगे बढ़ना है

तुम्हें बदन से आंका जाएगा

दूषित बुद्धि से नापा जाएगा

तुम चीखोगी अंधेरों में

तुम छटपटाओगी घेरों में

पर राहसे नहीं भटकना है

तुम्हें फिर भी आगे बढ़ना है

तुम नारी हो तुम्हें ज्ञान रहे

दोयम दर्जे की प्राणी हो

यह भी तुमको भान रहे

तुमको यह सीखलाया जाएगा

पहली रोटी से अर्थशास्त्र तक

सब अधिकार उनका है

घुट्टी  की तरफ पिलाया जाएगा

खुद का सम्मान  तुम्हें करना है

तुम्हें फिर भी आगे बढ़ना है

तुम मत डरो शमशीरो से

प्रथाओं की ऊंची प्राचीरो से

विजयी  वह ही होता है

जो दौड़े बिधकर तीरों से

खुद को तुम्हें पत्थर करना है

तुम्हें फिर भी आगे बढ़ना है

एक ना एक दिन आसमान मिलेगा

तुम्हारे संघर्षों को सम्मान मिलेगा

जो तुम्हें गिराते रहते हैं

उनको भी आत्मज्ञान मिलेगा

तब तक बस तुमको लड़ना है

तुम्हें फिर भी आगे बढ़ना है

रेखा शाह आरबी

उत्तर प्रदेश जिला बलिया