तुम बिन…..

तुम बिन सूरज नही उगता

तुम बिन सबेरा नही होता।

तुम बिन रात में चाँद नही आता

तुम बिन मेरी रात नही कटती।

तुम बिन जठराग्नि में आग नही लगती

तुम बिन पानी से भी प्यास नही बुझती

तुम बिन घर , घर नही लगता

तुम बिन में घर पर नही टिकता।

तुम बिन बागों में फूल नही खिलते

तुम बिन भंवरे भी आवारा हो गए।

तुम बिन बागों में  फूल नही खिलते

तुम बिन ये धरा भी प्यासी लगती है।

तुम बिन ये शहर अजनबी लगता है 

तुम बिन सब चेहरे धुंधले दिखते है।

तुम बिन यारो में भी मन नही लगता

तुम बिन अपने भी पराये लगते है।

तुम बिन आँखे सुनी सुनी लगती है 

तुम बिन चेहरे पे नूर नही रहता।

तुम बिन बाल बिखरे बिखरे रहते हैं

तुम बिन जुबा भी खामोश रहती है।

तुम बिन सारे मौसम सुने सुने हो गए

तुम बिन मेरे दिन रात एक हो गए।

तुम बिन में , में ना रहा तेरे बिन

तुम बिन में बूत बन गया तेरे बिन।

कमल राठौर साहिल

 शिवपुर , मध्य प्रदेश

 9685907895