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लहरों की डर से साहिल पर कब तक खड़े रहोगे तुम !
तैराकी का हुनर है तो नदी पार कर दिखाओ तुम !!
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यक़ीन होता है जिनको अपनी तैराकी के हुनर पर !
वो किसी को नदी में डूबते साहिल पर खड़े देख नहीं सकते !!
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समंदर की तेज लहरें दिखाती हैं ख़ौफ़ अपना !
ख़ौफ़ की ज़द में आए तो परिणाम अच्छा नहीं !!
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समंदर की तेज लहरों से दूर रहना ही अच्छा है !
लहरों के थपेड़े घायल कर दूर हो जाएंगे तुमसे !!
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शौक़ है उसको समंदर की लहरें देखने का !
लहरों के थपेड़ों से कभी वास्ता नहीं रहा !!
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मैं कैसे कहूं कि दोस्ती निभेगी हमारी तुमसे !
समंदर से डर है मुझे तुम लहरों से खेलते हो !!
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मेरी कश्ती मंज़िल तक का सफ़र करेगी कैसे !
लहर देखकर ही डगमगा जाती है कश्ती मेरी !!
*तारकेश्वर मिश्रअंबेडकरनगर उत्तर प्रदेश !
संपर्क सूत्र – 9450489518