खट्टी मीठी यादें

बारिश की बूंदों सा हमको ,

हर पल ये भिंगाती है ।

खट्टी मीठी यादें जब ,

दिल पर दस्तक दे जाती है ।

55 में भी बचपन का ,

अहसास ये जगाती है ।

अल्हड़ से वो बातें जब,

 अपनी याद दिलाती है ।

मैं रहती हूं गुमसुम बैठी,

वो मुझको हंसाती है ।

और कभी इन पलकों को ,

नम भी वो कर जाती है ।

फूलों की खुश्बू सा हर पल ,

खुद को वो महकाती है ।

लाख छुपाऊं खुद को उससे, 

फिर भी वो मिल जाती है ।

बाबुल के आंँगन की मुझको ,

याद बहुत दिलाती है ।

खुश हूं मैं इन यादों से ,

जो अक्सर जीवन में आती है ।

बरसों पहले छूटे साथ को ,

ये साथ में कर जाती है ।

तन्हा सी जब रहती हूं ,

ये आस पास आ जाती है ।

देख के पलके भींगी सी ,

ये मुझको फिर सहलाती है ।

भर जाता जब दिल मेरा ,

ये मुझको गले लगाती है ।

बाबुल सी थपकी उस पल,

ये मुझको दे जाती है ।

खट्टी मीठी यादें से ,

दिल को बड़ा ही भाती है।।

पूनम शर्मा स्नेहिल️