“दृष्टिकोण”

आज उस शख्स को गए पूरा एक हफ्ता हो गया। यकीन मानना मैं इतना सुकून से अपने जीवन में कभी नहीं रही,जितना सुकून मुझे उसके जाने के बाद मिला।

 कारण कुछ भी हो। उसके रहने से मुझे कितनी तकलीफ होती और उन तकलीफों का सामना करना पड़ता यह मैं अपनी उन तकलीफों को शब्दों में बयान नहीं कर सकती। मैंने जब कॉलेज की नौकरी ज्वाइन की तब से मैं उस एक व्यक्ति के व्यवहार के समझ के परे नहीं जा पाई। उसका कारण शायद यह भी रहा कि वह भी सेम पोस्ट पर काम कर चुका था। पता नहीं किस कारण से उसने प्रमोशन को डिमोशन में बदल लिया।  और शायद उसका यही अहम था, कि किसी महिला के सामने जूनियर के रूप में काम न कर पाना। फिर भी मैंने हर वक्त उसके अनुभव को सलाम किया।

 उसकी सीनियरटी को समझा। आदर सम्मान दिया। परंतु बदले में मुझे क्या मिला? बिना मोल खरीदा हुआ गुलाम जैसा व्यवहार मिला। उसकी हरकतों से मैं छुट्टी लेने के बावजूद अपने आप को चिंता से मुक्त नहीं कर पाती थी। हर वक्त मेरे विभाग की चिंता लगी रहती। 

 पता नहीं कैसे निर्जीव चीजों को पेर लग जाते और वह अपने आप इधर से उधर चलने लगते। काफी खोजबीन के बाद वह अपने यथा स्थान पर आ जाती। यह तो ईश्वर ही जानता है कि वह फाइलें, रजिस्टर, कार्ड अपने आप कैसे चलने लगते थे। एक दिन भी ऐसा नहीं जाता था जब मेरी आंसू पलकों से नीचे नहीं गिरी। 

आज मैं उसके जाने से चिंता मुक्त, आजाद हूं। यह मेरी सोच है। लेकिन उसके इसी व्यवहार को मैं सलाम भी करती हूं। जिसके कारण आज मैं इतने परिपक्वता से अपना कार्य कर पा रही हूं। उसने ना जाने कितनी बार गलत व्यवहार किए। लेकिन मुझे हर उसके उठाए गलत कदम से कुछ ना कुछ सीखने को मिला।

 मैं उसको अपना गुरु मानती हूं कि उसने मुझे सतर्क रहना सिखाया, उसने मुझे दुनिया के हर चेहरे से परिचय कराया। यह मेरा दृष्टिकोण है, कि मैंने जो कुछ सीखा उसी के गलत व्यवहार से सीखा।

डॉ. संध्या पुरोहित 

ग्रंथपाल, श्री वैष्णव कॉमर्स कॉलेजइंदौर