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तरस रही ये धरती पानी को
तरस रहा इंसान।।
दूरदराज़ मिला भी पानी
पर सिर्फ एक के ही नाम।।
समझो कमी कितनी पानी की
मां पिये या पूरा परिवार।।
अभी भी ना संभला अगर कोई
यही चित्र भविष्य में होगा खास।।
बूंद-बूंद को तरसेगी जिंदगी
पैसा भी खूब बहाओगे।।
पर मिलेगा क्या पानी पैसों से भी
भविष्य का जवाब कैसे तुम पाओगे?
इसलिए समझा रहा ये एक चित्र
भविष्य के लिए पानी संचय करो।।
यही सही तभी तो तुम सभी जीयोगे
परिवार संग भी खुशहाल नजर आओगे।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
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