डरा हुआ आदमी

बेबसी में जीता है, डरा हुआ आदमी , 

रक्त अश्रु पीता  है, डरा हुआ आदमी।

परिंदों की आहट से,वो  कांप जाता है ,

बहुत ही   भयभीता है,डरा हुआ आदमी।

जिंदगी की चाहत से ,अनजान लगता है ,

बारुद का पलीता है ,डरा हुआ आदमी।

जोश और उमंग भूल सोच में  बैठा है ,

वीरता से रीता है ,डरा हुआ आदमी।

चिंतातुर चेहरा जब ,देखे दहशत नाच ,

मृत्यू जाम पीता है ,डरा हुआ आदमी।

महेंद्र कुमार वर्मा