मुस्कान बिखेर जाती है।
शबनम सी खुशबू तेरी,
मदहोश कर जाती है।
बनावटी मत समझ,
मेरी इस चाहत को,
तुम्हारी एक झलक मुझे,
खूब तसल्ली दे जाती है।
तुम्हारी मुरादें पूरी करता रहूंगा,
बस मुझे और मत सजा दे,
तुम्हारी अदा जन्नत सी,
खुशियां दे जाती है।
यूं ही मेरे अरमानों को,
मत टूटने दें बस कर,
हरपल तेरी ख़ूब याद आती है।
मदहोश मत कर,
न देख टेढ़ी नजर से अब मुझे,
दिल से कहूं, तूं खूब याद आती है।
आ तूं बस आ मेरी जिंदगी में,
ज़िन्दगी तेरे बिना बस सुनीं,
हो जाती है।
तुम्हारी चाहत है मेरी तमन्ना,
मत और दिखा अपनी शोखियां,
तुम्हारी अदा ही है एक बला,
जल्द से जल्द तूं आ,
अब मत सता,
क्योंकि,
तूं बहुत याद आती है।
डॉ ०अशोक, पटना,बिहार।