टिकट वितरण का नाटक!

दल-दल पार्टी में टिकट वितरण का नाटक आयोजित किया जा रहा था। समारोह में चंद्रप्रकाश, संतोष सामरिया, सुरेंद्र सिंह आदि दिव्य पार्टीबाज अपने-अपने टिकट की दावेदारी कर रहे थे। समस्त खूंखार पार्टीबाज अपने-अपने सवालों के रुमाल से कमेटी मेंबरों के चेहरे साफ कर रहे थे। पार्टी आलाकमान ने गीले होते हुए पार्टी टिकटाकांक्षियों को पूछा- मान लो तुम्हें किसी वोटर को एक रोटी देनी हो, तो तुम क्या कहोगे? तब सुरेंद्र सिंह ने कहा- सर! मैं कहूंगा कि ये लो एक ताजी रोटी! इसे खाओ और अपनी भूख मिटाओ। इस जवाब पर आलाकमान ने सुरेंद्र सिंह को दल-दल पार्टी में दरी बिछाने के काम पर लगा दिया। अब अगली बारी संतोष सामरिया की आई। सामरिया उवाच- हे वोटर महाराज! प्लीज आप मेरे निकट आइए! बिसलेरी वाटर से अपना मुंह धोइए। ये ताजातरीन चूल्हे की बनी रोटी ग्रहण कीजिए। उत्तर सुनकर आलाकमान के वरिष्ठ चमचे ने अपनी पूंछ हवा में हिलाई और सामरिया को पार्टी मीटिंग में झाड़ू लगाने का काम दे दिया। टिकट वितरण के समारोह में अब बारी चंद्रप्रकाश की आई। वह खानदानी सियासत दान गले में लटकाए झूल रहा था। विरासत में पाई राजनीतिक बतौल-बाजी से फूल रहा था। उसने अपने पेट पर हाथ फेरा और लंबी सी डकार लेकर बनाया वोट बटोरू चेहरा! 

तब एक लंबा सा राग उकेरा- मैं चंद्रप्रकाश, पुत्र श्री सूर्यप्रकाश, पौत्र श्री ताराप्रकाश, निवासी जंगल लाइंस, परिवारपुर, जिला पार्टी दलाली, राज्य दल-दल पुर ,अपनी पूर्ण आंतरिक निष्ठा, कोई भी भूखा न सोए पार्टी गाइडलाइन व वोटर के विकास की इच्छा को अपने होशो-हवास में और विरोधी पार्टियों के बिना किसी के डर,भय, क्रोध, द्वेष या दबाव में आए, एक फूड, जो कि समस्त प्रकार की भूख का इलाज होता है,जो गहरे धूसर रंग की पूरी तरह से पकी हुई है एवं खाने में एक विश्वास भरी संतुष्टि देती है। जिस पर मेरी दल-दल पार्टी और मैं पूरी तरह से अपना मालिकाना हक़ रखता हूं। इस रोटी को उसके आटे, नमक एवं पानी के साथ पूर्ण रूप से मेरे वोटर देव को समर्पित करता हूं। इसके साथ ही आपको इस बात की सम्पूर्ण व बिना किसी भी खास शर्त के यह अधिकार देता हूं कि आप इसे खाने, उछालने तोड़ने, छींके में रखने, किसी भी बिल्ली से बंटवारा कराने आदि के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं। आप अपने पास यह समस्त अधिकार भी रखेंगे कि आप किसी भी अन्य को इस रोटी को इसके नमक, आटे एवं पानी के साथ या उसके बिना मात्र लौंदे रूप में भी बेच सकते हैं। इसके साथ ही ये भी घोषणा करता हूं कि आज के बाद मेरा दूर-दूर तक किसी भी प्रकार से इस रोटी से कोई सम्बन्ध नहीं रह जाएगा। अब इस रोटी से संबंधित कोई वाद,विवाद, प्रतिवाद आदि मेरा नहीं रहेगा। रोटी की अभिलाषा में जो भी प्रेम-प्यार, वार-तकरार जो कुछ भी रहेगा उस पर मेरा भविष्य में किसी तरह का कोई हक नहीं रहेगा। रोटी के भूत, वर्तमान और भविष्य पर सिर्फ और सिर्फ मेरे सामने खड़े इस वोटर महोदय का ही हक रहेगा। सुनते ही दल-दल पार्टी के आलाकमान चंद्रप्रकाश के चरणों का अमृत चाटने लग गए।

— रामविलास जांगिड़,18, उत्तम नगर, घूघरा, अजमेर (305023) राजस्थान