एक तरफा कोशिश से, रिश्ते बच ना पाए।
देखो, आज स्वार्थ ने चहुंओर पैर पसराए।
अनजान थे जिंदगी के इस हुनर से हम भी,
जिसे अपना माना हमने, वही राह दिखाए।
रिश्तो से, निकलने का हुनर हमें ना आए।
हमने तो रिश्तो को,बड़ी शिद्दत से निभाए।
कुछ रिश्तो ने सच्चाई वाकिफ कराया हमें
हम नादां,असली नकली परख कर न पाए।
बहु समझाया,रिश्तो में कहानियां ना बनाए।
गहराई लिए ,बस अपनेपन का शोर मचाए।
दिखाने के लिए, भूल कर भी ना रखें रिश्ता,
दोहरी नीति वाले,हमें कभी भी रास न आए।
पसंदीदा रिश्ते संभाल,उन्हें मन मंदिर बिठाए।
रिश्तो की अहमियत,वक्त पर एहसास कराए ।
सोच में मोच आते ही,खरोंच लगती रिश्तो में,
एक बार खो गए वीणा, तो गूगल ढूंढ न पाए।
वीणा वैष्णव रागिनी
राजसमंद
राजस्थान