जीवन मे कुछ लोगों के होने से बेहतर है उनका ना होना।
गुरुत्वाकर्षण की तरह, वो खींचते हैं तुम्हें नीचे की ओर।
जितनी तुम्हारी क्षमता है,
जितना आसान है तुम्हारे लिये मंजिल तक पहुँचना,
वो उसे उतना ही मुश्किल बना देते हैं।
बगावत करना आसान है,
लेकिन मन को अपने निर्णय पर टिकाये
रखना मुश्किल लगता है कभी-कभी।
जीवन में जो सच देखते हुए भी हम अंजान बनते हैं,
वही सच जब मुँहाने आकर खड़ा होता है समय की आंच से,
तब मुश्किल हो जाता है, उसका सामना करना।
कुछ चीज़ों और लोगों का त्याग स्वेच्छा से कर दिया जाना चाहिये,
क्यूँ कि और ज्यादा मजबूती से मुट्ठी बाँधने पर भी, वो हाथ से छूटेगा ही।।
ज़रूरी नहीं है कि जीवन में जो कुछ मिला है, वो सदा के लिये है।
मृत्युपर्यंत मेरी समझ में केवल अनुभव चलते हैं।
व्यक्ति और वस्तुएं नहीं।।
– रेखा घनश्याम गौड़
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