ये क्या हो गया

हाय यह क्या  हो गया  हाय यह क्या हो गया

मंजिल मिली  तो  बेचारा  मुसाफिर  खो गया

ख्वाबों के  महलों  से  निकला  नहीं  उम्र भर 

जागा जब वो नींद से उसका मुकद्दर सो गया

हाय…….

देखते  ही  देखते  यहाँ  सब  कुछ  बदल  गया

उसकी जमीन से यह फलक बहुत दूर हो गया

जब तक  समझता  वो  इस  रंगीन जिंदगी को

शाम ढलने लगी और  अंधेरा  कायम  हो गया 

हाय……

हंसता  खेलता  हुआ  वो  एक तस्वीर हो गया

खुद का खुद मुकद्दर  खुद ही तकदीर हो गया

लिखा नसीब  किस खुदा  ने बैठकर फुर्सत में 

लिखते लिखते राठौर नसीब का मारा हो गया 

हाय……. 

महेश राठौर सोनू 

गाँव राजपुर गढ़ी 

जिला मु 0नगर