सूरज अब उदास रह रहा है
आ गया जाड़ा कह रहा है।
गेंदा, डहेलिया खिलने लगे
शकरकंद,बेर, मिलने लगे
साग खेतों में उगने लगे हैं
पीले सरसों झूमने लगे हैं
नहर में ठंड़ा पानी बह रहा है
सूरज अब उदास रह रहा है
गर्म कपड़ों से बाजार जगमगाये
उन्हें देखकर मन डगमगाये
बड़ा आनंद पुवाल का बिछावन
रात में सुनना किस्से-कहानियां पावन
आऊं?ये शीतलहर कह रहा है
सूरज अब उदास रह रहा है।
घना कोहरा पड़ने लगा है
पेड़ से पत्ता झड़ने लगा है
जीव दांत किटकिटाने लगे हैं
कुछ शीतनिद्रा में जाने लगे हैं
अब सुना हर जगह रहा है
सूरज अब उदास रह रहा है।
नूर फातिमा खातून “नूरी”(शिक्षिका)
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश