मशवरा है की तेरे शहर की महफ़िल बदले|
मशवरा है की तेरे शहर की महफ़िल बदले ,
आज तक तो कभी खंजर कभी कातिल बदले |
जिंदगी किश्तों में गुजर गई तो क्या ,
जितने हमदर्द थे जिंदगी में शामिल बदले |
लहरे चलीं आईं शहरों में मचलती हुई,
न तो तूफ़ान और ना साहिल बदले ,
क़त्ल मेरा हुआ,एहसास नहीं है, उसको,
कितना मासूम लगे रूप जो कातिल बदले |
ग़मों की तादात तो नहीं बदली संजीव लेकिन,
जिंदगानी के गणित में कई हासिल बदले |
संजीव ठाकुर,15, रिक्रिएशन रोड
चोबे कालोनी, रायपुर छ.ग.
62664 19992, 9009415415.