*जिस शिद्दत से तेरी हुई मैं*

सुनना जो चाहो मुझे

तो वहां से सुनना…

जहां से खामोश हुई मैं

पढ़ना जो चाहो मुझे

तो वहां से पढ़ना…

जहां से लिखना शुरू हुई मैं

मिलना जो चाहो मुझे

तो वहां मिलना….

जहां पर जुदा हुई मैं

देखना जो चाहो मुझे

तो वहां देखना….

जहां दिखना बन्द हुई मैं

साथ चलाना जो चाहो मुझे

तो वहां से चलना…

जहां ठहरी हुई हूँ मैं

पुकारना जो चाहो मुझे

तो उस एहसास से…

जिस एहसास से आई हुई मैं

अपना कहना जो चाहो मुझे

तो उस शिद्दत से…

जिस शिद्दत से तेरी हुई मैं

*गीतांजलि गीत*

*साहित्यकार,नई दिल्ली*