उत्तरप्रदेश चुनाव पूर्वार्ध

प्रियंका बिगाड़ सकती हैं योगी का खेल

उत्तरप्रदेश जो कि खुद एक देश के जैसी हैसियत रखता है वहा की राजनीति दिनों दिन परवान चढ़ती जा रही हैं, परसो प्रधानमंत्री मोदी जी ने गोरखपुर में बड़ी बड़ी  घोषणाओं के साथ सभा करके गए।  अखिलेश- जयंत चौधरी ने पश्चिमी उत्तरप्रदेश में बड़ी रैली की। कल कांग्रेस की प्रियंका गांधी ने चुनाव को लेकर महिला घोषणा पत्र जारी किया,, प्रियंका पहले ही चुनाव में महिला प्रत्याक्षियों को लेकर 40%टिकटों की कर चुकी थी,, अगर काग्रेस 403 सीटो पर चुनाव लड़ती है तो 40% महिला उम्मीदवार अगर होगी तो 160 प्रत्याक्षी महिलाएं होगी जो कि उत्तरप्रदेश की राजनीतिक परिदृश्य बदल कर रख सकता हैं,, 

कल महिला केंद्रित घोषणा पत्र जारी किया जो अलग अलग 6 भागो में था। 

एक घोषणा पत्र की एक बड़ी घोषणा की कांग्रेस 20 लाख नोकेरिया देगी जिसमे 40% महिला आरक्षण रहेगा तो यह आंकड़ा 8 लाख होगा

दूसरा तीन गैस सिलेंडर मुफ्त, सरकारी बसों में महिला यात्रा मुफ्त होगी, स्कूली बच्चियों के लिए स्मार्ट फोन और बहुत सारी घोषणाएं की गई। 

उत्तरप्रदेश में कांग्रेस और प्रियंका की ताकत भी समझना जरूरी है

पहला जिसमे प्रियंका ने खुद को जनता की नज़र में विश्वसनीय बना लिया है। (देश के कई नेताओं के बारे में जनता को समझ पड़ गई है कि घोषणावीर और झूठ से ज्यादा कुछ नही है) लेकिन प्रियंका के साथ ऐसा कुछ नही लग रहा जनता उनपर विश्वास दिखा रही है, प्रियंका ने खुद को विश्वनीय बना दिया है जो बड़ी ताकत है। 

दूसरा इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व की झलक प्रियंका में दिखती है हावभाव- वक्तृत्व कला और बातचीत से भी इंदिरा की झलक मिलती है (इंदिरा न केवल देश की नेत्री थी वरन सम्पूर्ण विश्व मे उनकी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया था,, )

तीसरी और महत्वपूर्ण ताकत प्रियंका की यह होगी कि जहां भी कही कोई घटना या दुर्घटना हो, यह पहुची है जिससे उनकी संवेदनशीलता स्पष्ट दिखाई देती है,,,

प्रियंका की एक साक्षात्कार में बयान था कि जो 40% महिलाओं को हम टिकिट दे रहे है शायद वो सभी न जीते लेकिन ये महिलाओं का सशक्तीकरण होकर वह महिलाएं नेता ज़रूर बन जाएगी इस लाइन के पीछे जाए तो प्रियंका 2024 लोकसभा विजन लेकर चलती दिखाई देती है जो कि दूरदृष्टिता की निशानी है,, 

पिछली बार कांग्रेस सपा के साथ गठबंधन में थी और वोट प्रतिशत मिला था 6 लेकिन अब सर्वे में यह आंकड़ा 8% पर आ गया है।  जोकी बड़ा ही है न कि घटा है जो कांग्रेस और प्रियंका के लिए अच्छे संकेत है,,,,

कमजोरियो पर बात भी बनती है

केंन्द्रीय नेतृत्व पर संशय की स्तिथि बनी हुई है। 

दूसरा कांग्रेस का स्थानीय छोटे दलों के साथ कोई समन्वयन नही हो पाया है। 

तीसरा कांग्रेस में दूसरी पंक्ति में कोई नेतृत्व नही दिखाई दे रहा उत्तरप्रदेश में,  जबकि भाजपा में दूसरी पंक्ति में मोरया, सिन्हा दिखते है,, सपा में भी दूसरी पंक्ति दिखती है,, 

अवसर  पर बात कर लेते हैं

स्टेट और केंद्र की सत्ता विरोधी लहर जो होती है वह दिखने लगी हैं (एंटी इंकम्पेनसी) इसका फायदा कौन भुना पाएगा इस प्रश्न का उत्तर भविष्य के गर्त में

बसपा का वोटबैंक सिसक रहा है जिसे भाजपा या सपा या कांग्रेस कौन अपनी तरफ लाता है यह भी एक अवसर ही माना जाएगा,,, 

किसान आंदोलन से भाजपा को नुकसान तय माना जा रहा है(चाहे कानून निरसित रद्द हो कर दिया हो परन्तु इससे भाजपा विरोधी लहर बनी ही है,, 

कांग्रेस- सपा- बसपा तीनो ही पिछले दिनों विपक्ष में रहे थे और आज भी विपक्ष में एकजुटता नही है जो कि एक बड़ा कारण हो सकता है

उत्तरप्रदेश की राजनीति धर्म- जाती पर आधारित हो चली है लेकिन प्रियंका इस परिपाठी को तोड़कर महिला केंद्रित राजनीति स्थापित कर पाएगी यदि हा तो प्रियंका योगी की कुर्सी के रास्ते मे बड़ी अड़चन बनने जा रही है। 

इस बार योगी जी से स्वर्ण वोटर खासे नाराज चल रहे है और स्वर्ण अगर भाजपा से टूटेंगे तो न तो सपा न बसपा में जाएगे वह कांग्रेस की झोली भरेंगे,,

एक अवधारणा यह भी चल रही हैं कि प्रियंका कांग्रेस को 30 से 50 सीटों पर विजय करवा देती है और सपा बड़ी राजनीतिक पार्टी बन कर उभरती है तो चुनाव के पहले न सही बाद में गठबंधन हो सकता है महाराष्ट्र की तरह ???

एक आंकड़े पर चर्चा ज़रूरी है 2017 चुनाव का

भाजपा ने 403 में से 384 पर चुनाव लड़ा शेष पर सहयोगी दल लड़े थे जिसमें 46 महिला प्रत्याशी थी ये आंकड़ा प्रतिशत में होगा 12% जिसने से 36 महिलाएं जीती थी, कांग्रेस ने 114 सीटों पर चुनाव लड़ा 12 महिलाओं को टिकिट दिया था प्रतिशत आंकड़ा था 11%, सपा 311 जगह चुनाव लड़ी जिसमे 31 महिला प्रत्याक्षियों को टिकिट दिया – 10%के लग्भग ,, बसपा ने 403 सीटों पर चुनाव लड़ा था महिला प्रत्याक्षियों की संख्या थी 21 जो कि 5% ही था,

अंत मे

प्रियंका के इस चक्रव्यूह के चलते दूसरी पार्टियों में भी महिला प्रत्याक्षियों की संख्या बढ़ने का अनुमान है तो प्रियंका अपने एजेंडे महिला सशक्तीकरण पर कामयाब होती दिख रही है। तो भले ही प्रियंका सरकार न बना पाए लेकिन योगी जी के लिए सत्ता को चने लोहै के ज़रूर कर देगी और योगी की सत्ता की राह में मुसीबतें बड़ा देगी या सत्ता के खेल बिगाड़ भी सकती है।  

*इदरीस खत्री*