मुझको कोख में अब नहीं तुम मारो ,
मुझको भी बेटों की तरह तुम दुलारो,
मैं भी तुम्हारी तरह जीना चाहती हूं,
मैं भी इस दुनिया में आना चाहती हूं
मैं देखो बोज नहीं बनूंगी तुम पर ,
कोई अफसोस नहीं रहूंगी तुम पर ,
मुझको कोख में…………………….
मुझको भी ……………………………
मैं ढेरों खुशियां साथ अपने लाऊंगी,
रोते हुए चेहरों की हंसी बन जाऊंगी,
मैं भी हर रोज स्कूल जाना चाहती हूं,
मैं पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती हूं,
यह समाज की कुरीतियां तोड़ दीजिए,
दिल से हम बेटियों को गले लगा लीजिए,
मुझको कोख में…………………………
मुझको भी……………………………….
हम एक नया जीवन दुनिया में लाते हैं,
और हम ही घुट-घुट के जीवन बिताते हैं ,
मुझको भी इस दुनिया में लेकर आओ ,
मुझको इस तरह नहीं मारकर दफनाओ,
क्यों हम बेटियां का आना स्वीकार नहीं ,
क्यों बेटियों को जीने का अधिकार नहीं,
मुझको कोख में अब नहीं तुम मारो,
मुझको भी बेटों की तरह तुम दुलारो ll
रेनू गोस्वामी मध्यप्रदेश भोपाल