प्रेम की सच्ची परिभाषा

पुष्प सिखलाता है हमें 

प्रेम की सच्ची परिभाषा,

फैलाकर अपनी खुशबू 

महकाता है उपवन को,

भिन्न-भिन्न रंगो से अपनी

सजाता है जीवन को ।

काँटो में रहकर भी 

जीना सिखाता है वह

सुख दुख में धीरज रखने

का पाठ पढ़ाता है वह।

भंवरो के गुंजन से खिल

उठती है कली….

कलियों के होठों पर

शबनमी सी प्यास है

उसके इस प्यास का

भंवरे को भी अहसास है।

हर इक कली से उसे प्रेम है

इतना की वह आज 

गा रहा है नया गीत

 कोई  प्रीत का।

जिंदगी भी एक पुष्प है

और प्रेम उसकी खुशबू है,

प्यार एक दरिया अगर है

महबूब उसका साहिल है।

सच्चा प्रेम अगर मिल जाए

जीवन को आधार मिले,

प्रेम है एक मूक भाषा,

जीवन की अनकही 

        अभिलाषा।

पुष्प सिखलाता है हमें,

प्रेम की सच्ची परिभाषा।

              – सोनी पटेल